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Falgun Amavasya 2024: फाल्गुन मास की अमावस्या आज, करें ये उपाय…बन रहे हैं शुभ संकेत  – Utkal Mail

Falgun Amavasya 2024: विक्रम सम्वत 2080 की अंतिम अमवास्या जिसे फाल्गुन अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार आज यानि 10 मार्च को मनाई जा रही है। साथ ही इस बार एक नहीं बल्कि पांच शुभ संयोग बन रहे हैं। वहीं इस दिन स्नान दान की भी परम्परा है। साथ ही इस दिन आप पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय अपना सकते हैं, क्या हैं वो उपाय, चलिए जानते हैं, लेकिन उससे पहले आपको बताते क्या हैइस बार फाल्गुन अमावस्या 2024 का मुहूर्त? 

मुहूर्त
फाल्गुन अमावस्या तिथि का प्रांरभ 9 मार्च, दिन शनिवार से शाम 06:17 से शुरू होगा 

वहीँ फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन 10 मार्च, दिन रविवार से 02:29 पर समाप्त होगा 

फाल्गुन अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त: 10 मार्च, सुबह : 04:59 से शुरू होगा 

फाल्गुन अमावस्या पर इस बार 5 शुभ संयोग
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, साध्य योग, शुभ योग के साथ पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का शुभ संयोग बना है। सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 01:55 एएम से 11 मार्च को सुबह 06:35 एएम तक है। अमावस्या पर सुबह से ही साध्य योग होगा, जो शाम 04:14 तक रहेगा फिर शुभ योग होगा। वहीं पूर्व भाद्रपद नक्षत्र की बात करें तो देर रात 01:55 तक है, साथ ही एक शुभ संयोग शिववास का भी बन रहा है। शिववास माता पार्वती संग सूर्योदय से शाम 02:29 तक है, शिववास रुद्राभिषेक के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। 

चलिए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या के दिन आप क्या कर सकते हैं दान 
फाल्गुन अमावस्या का दिन कई मायनों में शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः स्नान के बाद दान करना शुभ माना जाता है, जिसमें कंबल, वस्त्र, अन्न, फल का दान किया जा सकता हैं। इसके अलावा गेहूं, गुड़, घी, तांबे के बर्तन दान करने का भी विधान है।

पितरों को कौन सी वस्तुएं करें दान
अमावस्या का दिन ऐसा दिन भी माना जाता है जब पितृ धरती पर आते हैं और इस दिन आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं, पितरों को तर्पण देना भी अहम् होता है तर्पण के लिए जल में काला तिल, सफेद फूल डालकर कुश के पोरों के माध्यम से पितरों को तर्पण देना चाहिए माना जाता है कि तर्पण से पितृ संतुष्ट होते हैं। 

दान से पितृ दोष से भी मिलती है मुक्ति 
इस दिन आप पितृ दोष से मुक्ति के भी उपाय अपना सकते हैं जैसे इस दिन मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज, दान आदि कार्य किये जाते हैं। इस दिन आती पितरों के देव अर्यमा की पूजा करनी चाहिए और पितृ सूक्तम् का पाठ करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होंगे और आपको उन्नति का आशीर्वाद देंगे। फाल्गुन अमावस्या के दिन शाम को घर की दक्षिण दिशा में पितरों के लिए सरसों के तेल का एक दीप जलाना चाहिए या फिर आप इस दीप को पीपल के पेड़ के नीचे भी जलाकर रख सकते हैं।

(नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। अमृत विचार इसकी सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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