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सचिन पायलट ने अमेरिका के नए शुल्क को लेकर केंद्र सरकार पर साधा निशाना, जानें क्या कहा… – Utkal Mail

नई दिल्ली। अमेरिका की तरफ से नए शुल्क लगाए जाने को लेकर सरकार पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय रचनात्मक समाधान निकालना चाहिए था।

पायलट ने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व अमेरिका द्वारा लगाए गए ‘जवाबी शुल्क’ पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है, भारत सरकार केवल समय व्यतीत कर रही है और सब कुछ भाग्य पर छोड़ रही है। पूर्व कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने एक न्यूज एजेंसी के साथ साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका ने जो कदम उठाया, भारत सरकार ने उसे स्वीकार लिया और उसने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी। 

पायलट ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जब प्रधानमंत्री वाशिंगटन में थे (फरवरी में) और उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, तो सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय, कुछ और रचनात्मक बात निकलकर सामने आनी चाहिए थी।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमारे संबंध उतने ही मजबूत होते, जितना दोनों नेता दावा कर रहे हैं, तो हमें इन भारी शुल्कों का सामना नहीं करना पड़ता। स्पष्ट रूप से हमारे निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा। विनिर्माण क्षेत्र गिरावट की ओर है, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) को झटका लगेगा…छंटनी और नौकरी छूटने के कारण अर्थव्यवस्था को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा, लेकिन दुर्भाग्यवश हमने इस स्थिति से निपटने के लिए कोई समुचित कदम नहीं उठाए या कोई संकेत भी नहीं है कि कैसे इस संकट से निकलेंगे।’’ 

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नींद में है और ऐसा लगता है कि वह भारतीय हितों की बलि देने के लिए अमेरिकी दबाव में है। पायलट ने कहा कि कई यूरोपीय देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और वास्तव में, चीन विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अमेरिका के खिलाफ कानूनी कदम उठाएगा। पायलट ने कहा कि यूरोपीय देशों ने भी इसी प्रकार के शुल्क लगाने की बात कही है, जबकि कनाडा और मेक्सिको ने भी ज्यादा जवाबी शुल्क लगाने का संकेत दिया है, लेकिन ‘‘हमने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।’’ 

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसलिए कोई नहीं जानता कि सरकार क्या करना चाहती है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि ये व्यापार युद्ध बड़ी समस्या उत्पन्न करने जा रहे हैं, चाहे वह महंगाई हो, विनिर्माण हो, उत्पादकता हो, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हो- सभी प्रभावित होंगे। संसद सत्र होने के बावजूद, हमने भारत सरकार की ओर से इस बारे में पर्याप्त प्रतिक्रिया या आश्वासन नहीं देखा है कि वह भारतीय हितों की रक्षा कैसे करेगी। यह चुप्पी अनिश्चितता को बढ़ा रही है।’’ 

इस मुद्दे से निपटने के लिए उचित रणनीति बनाने का आह्वान करते हुए पायलट ने कहा कि यदि शुल्क प्रस्ताव विचाराधीन था, तो भारत सरकार को इस बारे में अधिक रणनीतिक तरीके से संवाद करना चाहिए था और उससे निपटना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘हम पर जो शुल्क लगाया गया है, हम उसे स्वीकार कर रहे हैं। जब पूरी दुनिया प्रतिक्रिया दे रही है, हमने अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है।’’ 

उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया भर में अधिक परस्पर जुड़ी हुई अर्थव्यवस्था है। पायलट ने कहा कि अमेरिका के इस कदम का भारत पर विशेष प्रभाव पड़ेगा, खासकर ऐसे समय में जब यहां आजादी के बाद से ‘‘रिकॉर्ड बेरोजगारी’’ है। 

पायलट ने कहा, ‘‘हमारा राष्ट्रीय ऋण बोझ तेजी से बढ़ा है। हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन अमीर-गरीब के बीच अंतराल ऐतिहासिक स्तर पर है। हमारे श्रम बल का एक बड़ा हिस्सा व्यापार और निर्यात से संबंधित विनिर्माण में लगा हुआ है और उनमें से लाखों नौकरियां अनिश्चितता का सामना कर रही हैं।इसके बावजूद सरकार शुल्क लगाए जाने के परिणामों से निपटने के लिए कोई रचनात्मक विचार लेकर सामने नहीं आई है।’’ 

उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाना कठिन है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्क के क्या परिणाम होंगे लेकिन जोर दिया कि भारत सरकार को आसन्न फैसले के बारे में जानते हुए बेहतर तैयारी करनी चाहिए थी। पायलट ने कहा कि अमेरिका का रणनीतिक साझेदार होने के नाते भारत को कम से कम वर्तमान आर्थिक परिदृश्य के लिहाज से कोई लाभ नहीं हुआ है। 

अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का ‘जवाबी शुल्क’ लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। इस कदम से अमेरिका को भारत के कुछ क्षेत्रों के निर्यात पर असर पड़ने के आसार हैं। 

राष्ट्रपति ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क दरों का मुकाबला करने के लिए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। हाल में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, जो अब एक अधिनियम बन गया है, पर पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने संसद में अपना रुख बहुत स्पष्ट कर दिया और विपक्ष इसका विरोध करने में एकजुट है। 

उन्होंने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इस विधेयक को संसद में किस कारण से लाया गया? इस विधेयक को लाने के पीछे जो इरादा था, वह वो नहीं है जो दावा किया गया। यदि गैर-अनुपालन या विसंगतियों की कुछ अलग-अलग घटनाएं हुई थीं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी, तो उन्हें ठीक किया जा सकता था।’’ 

पायलट ने कहा, ‘‘लेकिन जिस तरह से विधेयक लाया गया, वह भी इतनी जल्दबाजी में, राजनीतिक दलों, हितधारकों, सामुदायिक नेताओं सहित सभी पक्षों के भारी विरोध के बावजूद, इसका उद्देश्य इस देश में हिंदू और मुस्लिम तथा मंदिर और मस्जिद के बारे में एक और बहस शुरू करना, देश को विभाजित करना और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर, बेरोजगारी, खाद्य मूल्य महंगाई, चीनी घुसपैठ जैसे वास्तविक मुद्दों को स्वीकार करने और हल करने से बचना तथा अपने राजनीतिक और चुनावी एजेंडे के अनुरूप देश का ध्यान अत्यधिक विवादास्पद और ध्रुवीकरण वाले मुद्दों की ओर मोड़ना भाजपा की पुरानी चाल है।’’  

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