मणिपुर की सीमा को की म्यांमार से घुसपैठ रोकने के लिए सीमा सील करने की मांग – Utkal Mail
अजमेर। राजस्थान के अजमेर में आज मणिपुर से आये मैतेई समुदाय के युवाओं ने देशव्यापी आन्दोलन के तहत अजमेर जिलाधीशालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा। मणिपुर हिंसा के विरोध में पूरे देश में आक्रोश है जिसके लिए मणिपुर का मैतेई समुदाय जन समर्थन जुटा रहा है।
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चीन कुकीज और म्यांमार नार्काे आतंकवादी जो अफीम की खेती कर पूरे भारत को नशे में डुबाने का काम कर रहे है जिसके खिलाफ मैतेई समुदाय आवाज उठा रहा है, आने वाले समय में कुकी को अफीम की खेती करना बन्द नहीं करवाया गया तो पूरा भारत नशे की मंडी बन जाएगा।
मणिपुर से आए मैतेई समुदाय के महेश्वर थोननजम ने बताया कि पूरे देश के जिला केंद्रों पर मैतेई समुदाय के लोग जाकर मणिपुर के मैतेई समुदाय और मणिपुर को बचाने के लिए देश से समर्थन जुटाया जा रहा है क्योंकि मणिपुर पिछले 4 महीनों से हिंसा से जूझ रहा जिससे मैतेई समुदाय के लोगो का रहना मुश्किल हो गया है जबकि मैतेई समुदाय मणिपुर का मूल निवासी हैं।
महेश्वर थोननजम ने बताया कि 1949 मणिपुर भारत का हिस्सा बना, 1971 पूर्वाेत्तर राज्य अधिनियम पारित किया गया अनुच्छेद 371 सी के अंतर्गत पहाड़ी लोगो को विशेष व्यवस्था देने की बात की गई थी, जब मणिपुर में राजाओं का राज था जिसमे बाहर से आने वाले व्यक्तियों को मणिपुर में जमीन खरीदने का अधिकार नहीं था और न ही बसने का अधिकार था ,लेकिन आजादी के बाद मणिपुर की राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया।
जिससे म्यांमार से आए लोग यन्हा बस गए और अंग्रेज इन लोगो को अफीम की खेती करवाने के लिए ले कर आ गए थे जिसके कारण मणिपुर की 90ः जमीन पर बाहर से आए कुकीज का कब्जा हो गया जबकि 70ः जनसंख्या मणिपुर की मैतेई समुदाय की है। महेश्वर ने बताया कि मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय को एसटी का आरक्षण दिया जिससे कारण बाहर से आई जातियों ने मणिपुर में हिंसात्मक आंदोलन चालू कर मैतेई समुदाय को निशाना बनाया गया जिसके कारण 4 महीनो से मणिपुर जल रहा है।
मैतेई समुदाय को समर्थन देने के लिए प्रदर्शन में एमडीएस यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष भगवान चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रेखा वर्मा, डॉ. नवरत्न गुसाईवाल, डॉ. रमेंद्र सिंह राठौड़, छात्र नेता विक्रम सिंह,सुरेंद्र कासोलिया, असलम खान इत्यादि प्रदर्शन में शामिल रहे।
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