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महुआ की सदस्यता पर फैसले का दिन? लोकसभा में आचार समिति ने पेश की रिपोर्ट, जमकर हंगामा – Utkal Mail

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को पांचवां दिन है। लोकसभा में ‘धन लेकर सवाल पूछने’ के मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश वाली आचार समिति की रिपोर्ट आज पेश की गई। रिपोर्ट पेश होने के बाद संसद में विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया और नारे लगाए। हंगामे को देखते हुए लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा से संबंधित लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोबारा शुरू होने के करीब 10 मिनट के अंदर दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।

इससे पहले महुआ मोइत्रा संसद पहुंचीं। इस दौरान उन्होंने कहा, ”मां दुर्गा आ गई हैं, अब देखेंगे…जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। उन्होंने ‘वस्त्रहरण’ शुरू किया अब आप ‘महाभारत का रण’ देखेंगे।”

लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने सदन के पटल पर वह रिपोर्ट रखी जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। पहले यह रिपोर्ट चार दिसंबर को लोकसभा में पेश किये जाने के लिए सदन की कार्यसूची में सूचीबद्ध थी।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया है कि महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने पर फैसला लिये जाने से पहले समिति की सिफारिशों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है तो हम विस्तृत चर्चा कराने पर जोर देंगे। रिपोर्ट का मसौदा तो ढाई मिनट में ही स्वीकार कर लिया गया था।’’

भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे।

विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था। यदि सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में मतदान करता है तो मोइत्रा को सदन से बर्खास्त किया जा सकता है।

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