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प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना : 1.44 लाख करोड़ से बदलेगी 100 कृषि जिलों की तस्वीर – Utkal Mail

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही में 16 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को मंजूरी दी है, जो भारत के कृषि क्षेत्र में परिवर्तन लाने की एक बड़ी योजना मानी जा रही है। यह योजना देश के 100 ऐसे कृषि जिलों पर केंद्रित है जो उत्पादन, फसल विविधता और ऋण वितरण के मामले में कमजोर हैं।

इसके लिए अगले छह वर्षों तक हर साल 24,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, इसमें कुल 1.44 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। योजना का उद्देश्य कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों जैसे फलों की खेती, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन और एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देना है।

यह योजना किसी नई स्कीम को शुरू करने के बजाय, पहले से चल रही 36 योजनाओं को 11 मंत्रालयों के माध्यम से समन्वय के साथ जमीन पर लागू होगी। इससे करीब 1.7 करोड़ किसानों को फायदा मिलेगा। प्रत्येक जिले के लिए एक जिला-स्तरीय योजना तैयार की जाएगी, जिसे जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई “जिला धन-धान्य समिति” तैयार करेगी। 

इस समिति में प्रगतिशील किसान और विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे। इसके अलावा नीति आयोग और कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से योजनाओं को स्थानीय जरूरतों, जलवायु और फसल पैटर्न को ध्यान में रखकर तैयार करेगी।

PMDDKY को 2018 में शुरू हुए आकांक्षी जिला कार्यक्रम की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जिसने 112 पिछड़े जिलों में प्रभावी सुधार किए। इसी तरह अब 100 कृषि जिलों में व्यापक सुधार लाने की योजना है। इन जिलों का चयन कम उत्पादकता, कम फसल और कम ऋण वितरण के आधार पर किया गया है। इसके साथ ही हर राज्य से कम से कम एक जिला इस योजना में शामिल होगा।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का मुख्य उद्देश्य

इस योजना के पांच मुख्य उद्देश्य- कृषि उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधीकरण को बढ़ावा, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण क्षमता विकसित करना, सिंचाई की सुविधा मजबूत करना, और किसानों को आसान कृषि ऋण उपलब्ध कराना है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि टिकाऊ, बाजार आधारित और जलवायु सहनशील कृषि प्रणालियां भी विकसित होंगी।

इस योजना की निगरानी के लिए तीन-स्तरीय व्यवस्था बनाई गई है- जिला स्तर पर समितियां, राज्य स्तर पर स्टीयरिंग ग्रुप, और राष्ट्रीय स्तर पर दो केंद्रीय समितियां शामिल हैं। हर जिले के लिए एक केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो नियमित दौरे कर प्रगति की निगरानी करेगा। वहीं नीति आयोग योजना की रणनीति तैयार करने, अधिकारियों को प्रशिक्षण देने और मासिक प्रगति रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाएगा।

किसानों की सुविधा के लिए बहुभाषी मोबाइल ऐप

योजना के डिजिटल पक्ष को मजबूत बनाने के लिए किसानों के लिए एक बहुभाषी मोबाइल ऐप और निगरानी के लिए केंद्रीय डैशबोर्ड बनाया जाएगा। इस डैशबोर्ड पर 117 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर हर जिले की मासिक प्रगति की रिपोर्ट को देखा जाएगा। साथ ही, जिलों की रैंकिंग प्रणाली लागू की जाएगी जिससे प्रतिस्पर्धा के जरिए बेहतर क्रियान्वयन हो सके। 

इस योजना के माध्यम से भारत में कृषि उत्पादकता में वृद्धि, मूल्यवर्धन, स्थानीय रोजगार सृजन, घरेलू उत्पादन में इजाफा और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने की दिशा में तेजी आएगी। यह योजना सिर्फ फसलों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि पशुपालन, मत्स्य पालन और अन्य कृषि संबद्ध क्षेत्रों को भी मजबूत करेगी।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, समन्वित कार्यान्वयन, विकेंद्रीकृत योजना निर्माण और तकनीकी सहयोग के जरिए भारतीय कृषि क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों से निपटने की कोशिश है। इसके तहत अक्टूबर 2025 की रबी फसल से कार्यान्वयन शुरू होगा। यह योजना न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि ग्रामीण भारत की समग्र आर्थिक मजबूती के लिए भी एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।


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