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गैर-हिंदू कर्मचारियों को टीटीडी ने काम से रोका तो भड़के ओवैसी, बताया पाखंड, जानें पूरा मामला – Utkal Mail

हैदराबाद। टीटीडी द्वारा 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को किसी भी धार्मिक समारोह में शामिल होने से रोकने के निर्णय की आलोचना करते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार शाम इसे “दिन के उजाले में पाखंड” कहा। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी (ईओ) द्वारा हाल ही में जारी एक ज्ञापन में गैर-हिंदू कर्मचारियों को टीटीडी के किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का निर्देश दिया गया है।

ओवेसी ने ‘एक्स’ पर कहा, “आंध्र प्रदेश हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं में धारा 3(2) [आयुक्त या सहायक आयुक्त आदि गैर-हिंदू नहीं हो सकता], धारा 12 [इंस्पेक्टर हिंदू होना चाहिए], धारा 19(1)(जे) [ट्रस्टी अगर हिंदू नहीं हैं तो उन्हें हटाया जा सकता है], धारा 28 [अगर कोई ट्रस्टी हिंदू नहीं हैं तो उसे हटाया जा सकता है], धारा 29 [कार्यकारी अधिकारी हिंदू होना चाहिए] धारा 96(2) ट्रस्टी को अयोग्य ठहराती है अगर वह हिंदू नहीं है।”

उन्होंने कहा, “अब, टीटीडी को भी गैर-हिंदू कर्मचारी नहीं चाहिए। लेकिन वक्फ में न केवल गैर-मुस्लिम अनिवार्य रूप से होने चाहिए, बल्कि वे अधिकांश सदस्य भी हो सकते हैं।” उन्होंने कहा कि टीटीडी ने तर्क दिया कि चूंकि यह एक हिंदू संस्थान है, इसलिए गैर-हिंदुओं को इसमें नियोजित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को यह बताना चाहिए कि उनकी पार्टी ने संयुक्त कार्य समिति में भाजपा के वक्फ विधेयक का समर्थन क्यों किया।

ओवैसी ने कहा कि विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी) और राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिमों को अनिवार्य बनाता है। विधेयक इस आवश्यकता को भी हटा देता है कि परिषद और बोर्ड में मुसलमानों का बहुमत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम पर एक नजर डालें: एक ट्रस्टी गैर-हिंदू नहीं हो सकता, कोई भी आयुक्त या सहायक आयुक्त आदि गैर-हिन्दू नहीं हो सकता, यहां तक ​​कि धारा 12 के अंतर्गत इंस्पेक्टर भी गैर-हिंदू नहीं हो सकता। और धारा 96 के अंतर्गत अधिनियम टीटीडी के बारे में यही बात कहता है।

उन्होंने पुछा कि अब वक्फ बिल क्या कर रहा है? गैर-मुस्लिम वक्फ समर्पित नहीं हो सकते लेकिन मुस्लिम सीडब्ल्यूसी और मुस्लिम वक्फ बोर्ड के कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए। उन्होंने कहा, सीडब्ल्यूसी या वक्फ बोर्ड का अधिकांश हिस्सा गैर-मुस्लिम हो सकता है।

एमआईएम प्रमुख ने कहा कि पहले ये सदस्य निर्वाचित होते थे, अब इन्हें सरकार द्वारा नामांकित किया जाएगा और सरकार गैर-मुस्लिम बहुमत वाले सीडब्ल्यूसी/बोर्ड बनाने में बहुत सक्षम है। एमआईएम प्रमुख ने सवाल किया कि लोकतांत्रिक चुनावों के खिलाफ इतनी नफरत क्यों। उन्होंने ट्वीट कर मुख्यमंत्री से सवाल किया कि, “अगर केवल हिंदुओं को हिंदू बंदोबस्ती पर शासन करना चाहिए और केवल हिंदुओं को कर्मचारी होना चाहिए। तो मुस्लिम वक्फ के खिलाफ यह भेदभाव क्यों?”

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