शिक्षा

िज़Ûदगी फाउं डेशन मɅ सपनो कȧ ऊँ ची उड़ान जारȣ, Ǒदहाड़ी मज़दूर और भूमहȣन ͩकसानɉ के बÍचे बनɅगे डॉÈटर

नीट कȧ सफलता का जæन जब सभी ओर बÍचे मना रहे होते हɇ, उसी समय िज़Ûदगी फाउंडेशन मɅ

ख़ुशी और आँसुदोनɉ झलकते हɇ। ख़ुशी इस बात कȧ ͩक वषɟ कȧ तपèया का पǐरणाम ͧमलता है

और कǑठन पǐरिèथǓत मɅ ͧमलȣ इस सफलता से अͧभभूत आंसू अपने आप Ǔनकल आते है।

िज़Ûदगी फाउंडेशन के बÍचɉ कȧ सफलता कोई साधारण सफलता नहȣं होती है Èयɉͩक इनमɅ से

Ïयादातर बÍचे ऐसे होते हɇ िजÛहे हर Ǒदन दो वÈत का भोजन भी नसीब नहȣं होता। ǐरÈशा

चालक, Ǒदहाड़ी मज़दूर, सÞजी ͪवĐे ता और गरȣब ͩकसान के बÍचे जब देश के सबसे कǑठन परȣ¢ा

मɅ से एक ‘नीट’ मɅ सफल होते हɇ तो कई Ĥेरणादायक कहाǓनयां बनती हɇ।

ओͫडशा के जाजपुर िजले कȧ अमृता साहूके ͪपता Ǒदहाड़ी मज़दूर हɇ और बेटȣ कȧ ĤǓतभा को देख

कर भी वह उसके ͧलए मेͫडकल के कोͬचंग कȧ åयवèथा नहȣं कर पाये। पǐरवार का भरण पोषण

हȣ मुिæकल से चल पाता था। ऐसे मɅ िज़Ûदगी फाउंडेशन ने अमृता का हाथ थामा और उसके नीट

कȧ तैयारȣ कȧ पूरȣ िजàमेदारȣ उठाई। अमृता ने नीट मɅ 636 èकोर कर एक ĤǓतिçठत मेͫडकल

कॉलेज मɅ पहुँचाने का राèता बना ͧलया है।

ओͫडशा के हȣ कɅġापाड़ा िजले के जगÛनाथ ͬगरȣ ने नीट मɅ èकोर 635 कर के अपने डॉÈटर बनने

के सपने कȧ ओर कदम बढ़ाया है। जगÛनाथ के ͪपता भूͧमहȣन ͩकसान हɇ और पǐरवार चलाने के

ͧलए Ǒदहाड़ी मज़दूरȣ का भी काम करते हɇ। कई बार पǐरवार को भूखे पेट भी सोना पड़ता है।

जगÛनाथ भी अपनी पढाई के साथ साथ खेतɉ मɅ मज़दूरȣ करता है ताͩक घर मɅ कुछ और पैसे आ

सकɅ। िज़Ûदगी फाउं डेशन के माग[दश[न और अपनी मेहनत से जगÛनाथ ने गरȣबी को हरा कर

अपना सपना सच कर Ǒदखाया है।

ढɅकानाल के मलय कुमार Ĥधान कȧ कहानी भी कुछ ऐसी हȣ है। हर Ǒदन खाने को तरसते इस

Ǒदहाड़ी मज़दूरɉ के बÍचे कȧ सफलता कȧ भूख ने पेट के भूख को मात दे Ǒदया। जब भर पेट

खाना हȣ एक चुनौती हो तो मेͫडकल कोͬचंग एक सपने के तरह था। लेͩकन मलय ने कभी अपने

लêय का पीछा करना नहȣं छोड़ा। नीट मɅ 634 का èकोर कर मलय ने बड़ी उपलिÞध हाͧसल कȧ

है और एक डॉÈटर बनने कȧ ओर कदम बढ़ाया है।

िज़Ûदगी फाउंडेशन के 21 मɅ से 20 बÍचɉ ने नीट 2022 मɅ Èवालȣफाई ͩकया और डॉÈटर बनने

कȧ ओर बढ़ चले हɇ। 2017-18 से शुǾ हो कर अब तक िज़Ûदगी फाउंडेशन के 88 बÍचे नीट

Èवालȣफाई कर चुके हɇ। यह सभी बÍचे समाज के सबसे गरȣब और ͪपछड़े वग[ से आते है िजनके

पǐरवार का जीवन यापन भी मुिæकल से होता है। इन बÍचɉ को िज़Ûदगी फाउंडेशन नीट कȧ

कोͬचंग, èटडी मटेǐरयल, रहने -खाने और बाकȧ सभी सुͪवधाएं ǒबलकुल मुÝत Ĥदान करता है।

2021-22 मɅ अपनी सफलता के 5 साल पूरा करते हुए िज़Ûदगी फाउंडेशन अब ओͫडशा के बाहर

कदम रखने कȧ तैयारȣ कर रहा है और दूसरे राÏय के बÍचे भी अब इस फाउंडेशन के अंतग[त

नीट कȧ तैयारȣ कर सकɅगे।

िज़Ûदगी फाउंडेशन कȧ पǐरकãपना ͧश¢ाͪवद अजय बहादुर ͧसंह ने कȧ िजÛहे बÍचे अजय सर के

नाम से जानते हɇ। कभी èवयं डॉÈटर बनने का सपना ͧलए अजय मेͫडकल कȧ तैयारȣ कर रहे

थे। लेͩकन ͪपता कȧ बीमारȣ के कारण अजय को अपनी पढाई बीच मɅ छोड़नी पड़ी और वह ͪपता

के इलाज़ के ͧलए चाय शरबत बेच कर पैसे कमाने लगे। अपने कड़ी मेहनत और लगन के साथ

जब अजय सर ने जीवन मɅ ͧश¢ाͪवद के तौर पर सफलता पायी तो उÛहɉने अपने जैसे मेधावी

और गरȣब बÍचɉ को डॉÈटर बनाने का संकãप ͧलया और िज़Ûदगी फाउंडेशन कȧ èथापना कȧ।

अपने फाउंडेशन कȧ लगातार सफलता के बारे मɅ अजय कहते हɇ, “मेरा मानना है कȧ िज़द है तो

जीत है।” इन बÍचɉ मɅ जीवन मɅ जीतने कȧ िजद है और मɇ इसी िजद को सफलता मɅ बदलने

का Ĥयास करता हूँ। कभी मेरȣ िज़Ûदगी कȧ शुǽआत चाय और शरबत बेचने से हुई थी। आज जब

मɇ जब स¢म हूँ तो मɇ कोͧशश करता हूँ कȧ पैसो के आभाव मɅ ͩकसी मेधावी बÍचे का डॉÈटर

बनने का सपना अधूरा नहȣं रह जाए जैसा मेरा रह गया था। इन बÍचɉ के सफलता मɅ अपनी

सफलता देखता हू

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button