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हाईकोर्ट ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले का लिया संज्ञान  – Utkal Mail


नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निलंबित सरकारी अधिकारी प्रेमोदय खाखा द्वारा एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न के मामले का सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया। उच्च न्यायालय ने प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मामले में पीड़िता की पहचान किसी भी सूरत में उजागर न हो। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस संबंध में खुद एक जनहित याचिका दायर की। 

पीठ ने कहा कि पीड़िता को उचित सुरक्षा और मुआवजा मुहैया कराया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार और शहर की पुलिस ने पीठ को सूचित किया कि पीड़ित लड़की को एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उसकी हालत नाजुक है। पीठ ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, शहर की पुलिस और केंद्र को मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 सितंबर की तारीख मुकर्रर की। 

सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अधिवक्ता ने कहा कि एनसीपीसीआर ने भी मामले का संज्ञान लिया है और अधिकारियों द्वारा नियमों के अनुपालन में कुछ विसंगतियां बरती गई हैं। अधिवक्ता ने कहा कि आयोग इस मामले में एक रिपोर्ट दाखिल करेगा। खाखा पर नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच लड़की के साथ कई बार बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने उसे गत 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है। खाका की पत्नी सीमा रानी भी न्यायिक हिरासत में है। उस पर लड़की को गर्भ गिराने की दवा देने का आरोप है। 

पुलिस के मुताबिक, खाका पीड़िता का पारिवारिक मित्र था। पीड़िता एक अक्टूबर 2020 को अपने पिता की मौत के बाद से आरोपी के घर पर रह रही थी। पीड़िता द्वारा अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद खाका और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2)(एफ) (महिला के रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक, या उसके विश्वास पात्र व्यक्ति या उस पर अधिकार की स्थिति रखने वाले व्यक्ति का उसके साथ बलात्कार करना) और 509 (ऐसे शब्द, इशारे या कार्य, जिनका उद्देश्य किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना हो) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस के मुताबिक, मामले में आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना) और 120बी (आपराधिक साजिश) भी शामिल की गई है। 

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