‘One State-One RRB’ योजना आज से लागू , जानिए क्या है योजना, ग्रामीण बैंकों पर इसका क्या पड़ेगा असर? – Utkal Mail

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक मई से ‘एक राज्य एक आरआरबी’ योजना लागू होने के साथ ही 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाओं वाले 28 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) देशभर में काम करेंगे। ‘एक राज्य एक आरआरबी’ के अंतर्गत 11 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र में एकल आरआरबी में समाहित कर दिया गया है।
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने कहा, इस विलय से आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो गई है, जिससे आरआरबी की व्यवहार्यता तथा वित्तीय प्रदर्शन में और सुधार होगा। डीएफएस से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अब 28 आरआरबी होंगे जिनकी 700 जिलों में 22000 से अधिक शाखाएं होंगी।’’ इस विलय के परिणामस्वरूप एकीकृत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पूंजी आधार बढ़ेगा, जिससे संबंधित राज्य विशिष्ट लक्ष्यों के अनुरूप ऋण वृद्धि तथा विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सभी संस्थाओं की अधिकृत पूंजी 2,000 करोड़ रुपये होगी।
इन बैंकों का होगा विलय
- आंध्र प्रदेश में चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक और अन्य RRBs को मिलाकर ‘आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा।
- उत्तर प्रदेश में बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक, प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक को विलय कर ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा, जिसका हेडक्वार्टर लखनऊ में होगा।
- पश्चिम बंगाल में बंगीय ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तर बंग RRBs का विलय कर ‘पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक’ बनाया जाएगा, जिसका मुख्यालय कोलकाता होगा।
- बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो RRBs को एक में विलय कर दिया जाएगा।
क्या है ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ योजना?
यह योजना ग्रामीण बैंकिंग नेटवर्क को अधिक संगठित, कुशल और लागत प्रभावी बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की रणनीति का हिस्सा है। इस स्कीम के चौथे चरण में देशभर के 43 RRBs में से 15 को मिलाकर उनकी संख्या घटाकर 28 की जा रही है। इससे बैंकों के संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी, प्रबंधन आसान होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।
किस पर पड़ेगा असर?
इस बदलाव से सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक ग्राहकों, किसानों, छोटे व्यापारियों और स्वरोज़गार से जुड़े लोगों पर पड़ेगा। हालांकि बैंक शाखाएं और सेवाएं जारी रहेंगी, लेकिन अब उन्हें एकीकृत बैंकिंग सिस्टम के अंतर्गत सेवाएं मिलेंगी, जिससे लेन-देन और लोन प्रक्रिया अधिक सरल और पारदर्शी होगी।