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हजारों योजनाओं के बाद भी भारत का विकास नहीं, Human Development Index में 193 देशों में 130 वें स्थान पर – Utkal Mail

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसी सरकारी राष्ट्रीय योजनाओं, अभियानों और कार्यक्रमों से 193 देशों के वैश्विक मानव सूचकांक में भारत 130 वें स्थान पर पहुंच गया है। 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मंगलवार को जारी रिपोर्ट “ए मैटर ऑफ चॉइस: पीपुल एंड पॉसिबिलिटीज इन द एज ऑफ एआई” में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की मानव विकास प्रगति जारी और मानव विकास निरंतर प्रगति कर रहा है तथा 193 देशों में 133 वें स्थान से बढ़कर 130 वें स्थान पर आ गया है। 

रिपोर्ट के अनुसार भारत का मानव विकास सूचकांक वर्ष 2022 में 0.676 से बढ़कर वर्ष 2023 में 0.685 हो गया। इससे देश मध्यम मानव विकास श्रेणी में आ गया गया है। भारत जल्दी जो उच्च मानव विकास 0.700 के करीब पहुंच जाएगा। देश में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1990 में 58.6 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2023 में 72 वर्ष हो गई है, जो सूचकांक शुरू होने के बाद से अब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विशेष रूप से स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों और प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की भारत में रेजिडेंट प्रतिनिधि एंजेला लुसिगी ने कहा ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत समावेशी विकास और मानव विकास पर निरंतर प्रगति हासिल करने के लिए अच्छी स्थिति में है। वर्ष 1990 के बाद से भारत के मानव विकास सूचकांक में 53 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत दोनों से अधिक तेज़ है। इस प्रगति में आर्थिक विकास और लक्षित सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कार्यक्रमों का योगदान हुआ है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, समग्र शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसी योजनाओं ने परिणामों को बेहतर बनाया है। रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक मोर्चे पर, भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय चार गुना से अधिक बढ़ गई है, जो वर्ष 1990 में 2167.22 डालर से बढ़कर वर्ष 2023 में 9046.76 डालर हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में, आर्थिक विकास पर भारत की प्रगति और मनरेगा,जन धन योजना और डिजिटल समावेशन जैसे कार्यक्रमों में निवेश ने गरीबी में कमी लाने में योगदान दिया है। वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के बीच 13 करोड़ 50 लाख भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में असमानता चुनौती बनी हुई हैं। हालांकि स्वास्थ्य और शिक्षा असमानता में सुधार हुआ है लेकिन आय और लिंग असमानताएँ महत्वपूर्ण बनी हुई हैं। महिला श्रम शक्ति भागीदारी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पिछड़ा हुआ है। रिपोर्ट में भारत को वैश्विक स्तर पर एक अद्वितीय स्थान पर रखा गया है, जो एक उभरते एआई पावरहाउस के रूप में है। भारत में 20 प्रतिशत एआई शोधकर्ता हैं। भारत समावेशी विकास के लिए एआई का लाभ उठा रहा है। कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक सेवा वितरण तक,जटिल चुनौतियों को बड़े पैमाने पर हल करने के लिए एआई का विकास और उपयोग किया जा रहा है। एआई किसानों को क्षेत्रीय भाषाओं में बीमा, ऋण और सलाह तक पहुंचने में मदद कर रहा है। एक वैश्विक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 70 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि एआई से उत्पादकता बढ़ेगी और 64 प्रतिशत का मानना ​​है कि इससे नई नौकरियां पैदा होंगी।


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