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ट्रंप ने स्टील import पर लगाया 50 % का शुल्क, भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों को लग सकता है झटका  – Utkal Mail

पेन्सिल्वेनिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को पेन्सिल्वेनिया के इस्पात कर्मियों से कहा कि वह उनके उद्योग की रक्षा के लिए इस्पात आयात पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर रहे हैं। यह एक नाटकीय वृद्धि है, जो आवास, वाहन और अन्य सामान बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली धातु की कीमतों को और बढ़ा सकती है। बाद में सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम शुल्क को भी दोगुना करके 50 प्रतिशत किया जाएगा, और दोनों शुल्क बढ़ोतरी बुधवार से लागू होंगी। 

ट्रंप ने उपनगरीय पिट्सबर्ग में यूएस स्टील के मोन वैली वर्क्स-इरविन संयंत्र में बात की, जहां उन्होंने एक विस्तृत सौदे पर भी चर्चा की जिसके तहत जापान की निप्पॉन स्टील प्रतिष्ठित अमेरिकी स्टील विनिर्माता में निवेश करेगी। हालांकि, ट्रंप ने शुरू में पिट्सबर्ग स्थित यूएस स्टील को खरीदने के लिए जापानी स्टील विनिर्माता की बोली को रोकने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह अपना रुख बदल दिया और निप्पॉन द्वारा ‘आंशिक स्वामित्व’ के लिए एक समझौते की घोषणा की। 

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उनके प्रशासन द्वारा मध्यस्थता में किया गया सौदा अंतिम रूप ले चुका है या नहीं, या स्वामित्व किस तरह का होगा। यूएस स्टील के एक गोदाम में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम आज यहां एक ब्लॉकबस्टर समझौते का जश्न मनाने के लिए आए हैं, जो यह सुनिश्चित करेगा कि यह प्रतिष्ठित अमेरिकी कंपनी एक अमेरिकी कंपनी बनी रहे। 

उन्होंने कहा, “आप एक अमेरिकी कंपनी बने रहेंगे, आप यह जानते हैं, है न?” शुल्क के बारे में, ट्रंप ने कहा कि आयातित इस्पात पर शुल्क दोगुना करने से ‘अमेरिका में इस्पात उद्योग और भी सुरक्षित हो जाएगा।’ लेकिन इतनी नाटकीय वृद्धि कीमतों को और भी अधिक बढ़ा सकती है। सरकार के उत्पादक मूल्य सूचकांक के अनुसार, जनवरी के मध्य में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से इस्पात की कीमतों में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, मार्च 2025 तक, अमेरिका में इस्पात की कीमत 984 डॉलर प्रति टन होगी, जो यूरोप (690 डॉलर) या चीन (392 डॉलर) की कीमत से काफी अधिक है। अमेरिका ने पिछले वर्ष आयात की तुलना में लगभग तीन गुना इस्पात का उत्पादन किया। आयात मुख्य रूप से कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया से किया गया। विश्लेषकों का मानना ​​है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में शुल्क ने घरेलू इस्पात उद्योग को मज़बूत करने में मदद की, जिसका फायदा निप्पॉन स्टील, यूएस स्टील को खरीदकर उठाना चाहती थी। 

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिका में दोगुना आयात शुल्क लगाने की राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा पर कहा कि इससे भारतीय निर्यातक प्रभावित होंगे क्योंकि इससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित होगी। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “ये निर्यात अब तेजी से बढ़ते अमेरिकी शुल्क से प्रभावित होंगे, जिससे भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों की लाभप्रदता को खतरा पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा, “ट्रंप द्वारा शुल्क को दोगुना करने के बाद, यह देखना बाकी है कि क्या भारत एक महीने के भीतर कुछ अमेरिकी निर्यात पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई करेगा।” भारत ने पहले ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में एक औपचारिक नोटिस दिया है, जिसमें उसने इस्पात पर पहले लगाए गए शुल्क के जवाब में अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाने के अपने इरादे का संकेत दिया है। 

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