शशि थरूर का बड़ा दावा- बेहद फायदेमंद रही कैपिटल हिल में अमेरिकी सांसदों से मुलाकात – Utkal Mail

वाशिंगटन। कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारतीय सांसदों के बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल ने यहां कैपिटल हिल (संसद परिसर) में अमेरिकी सांसदों के साथ “अत्यंत लाभदायक” मुलाकात की और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तथा आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में जानकारी दी।
प्रतिनिधिमंडल के नेता थरूर ने बुधवार को यहां नेशनल प्रेस क्लब में बातचीत के दौरान कहा, “कैपिटल हिल पर एक दिन बिताना बेहद फायदेमंद रहा, क्योंकि हम कांग्रेस (संसद) के कई सदस्यों और सीनेटर से मिल पाए।” प्रतिनिधिमंडल 24 मई को भारत से रवाना हुआ था और यह अपने दौरे के अंतिम चरण में वाशिंगटन पहुंचा है। इससे पहले यह गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा कर चुका है।
थरूर ने कहा, “मोटे तौर पर, हम हर देश में जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह है घटनाओं के बारे में अपना दृष्टिकोण बताना, पिछले कुछ हफ्तों के अपने अनुभव बताना, और उन लोगों की एकजुटता और समझ हासिल करना जिनसे हम मिलते हैं। और मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि अब तक हमारा बल्लेबाजी औसत 100 से ज़्यादा है।”
उन्होंने कहा कि अब तक प्रतिनिधिमंडल ने जिन लोगों से मुलाकात की, उन सभी ने न केवल भारत पर हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, अपना आक्रोश और सहानुभूति व्यक्त की, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का भी स्पष्ट समर्थन किया। थरूर ने कहा, “इस प्रकार की समझ का बहुत स्वागत है। हम बातचीत की गुणवत्ता और रुचि के स्तर से बहुत प्रसन्न होकर कैपिटल हिल से विदा हुए।”
सांसद ने कहा, “हर देश में और (कैपिटल) हिल में भारत के साथ संबंधों को मज़बूत करने में जबरदस्त दिलचस्पी है। यह सिर्फ आतंक के खिलाफ हमारे साथ खड़े होने का सवाल नहीं है। वे आर्थिक विकास, सहयोग, व्यापार और निवेश के बारे में भी सकारात्मक सोच रहे हैं।”
बाद में भारतीय दूतावास में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए थरूर ने कहा कि कैपिटल हिल में अमेरिकी सांसदों के साथ प्रतिनिधिमंडल की बैठक में “एक भी संदेहपूर्ण या नकारात्मक आवाज नहीं थी।” उन्होंने कहा, “हमें बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। हमारा सत्र बहुत अच्छा रहा।”
थरूर ने कहा कि दो मुख्य बातें हैं – आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति पूर्ण समर्थन और एकजुटता, तथा आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा के भारत के अधिकार की पूरी समझ। इन दोनों बिंदुओं पर वे “बहुत, बहुत स्पष्ट” हैं। प्रतिनिधिमंडल ने प्रतिनिधि सभा में ‘इंडिया कॉकस’ के द्विदलीय सह-अध्यक्षों रो खन्ना और रिच मैककॉर्मिक, तथा उप-सह-अध्यक्षों एंडी बर और मार्क वीसी से मुलाकात की।
भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर कहा, “संसद सदस्यों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की स्पष्ट और द्विदलीय निंदा की। उन्होंने आतंकवाद को कतई सहन नहीं करने की भावना से आतंकवाद का जवाब देने के भारत के अधिकार का समर्थन किया। कॉकस के सदस्यों ने भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की भी सराहना की।”
टीम ने सदन की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों के साथ ‘‘स्पष्ट और उपयोगी बातचीत’’ की जिसमें इसके अध्यक्ष ब्रायन मास्ट, सदस्य ग्रेगरी मीक्स, दक्षिण और मध्य एशिया उपसमिति के अध्यक्ष बिल हुइजेंगा, सदस्य सिडनी कामलागर-डोव, अमी बेरा और पूर्वी एशिया और प्रशांत उपसमिति के यंग किम शामिल थे।
दूतावास ने ‘एक्स’ पर कहा, “संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने समिति के सदस्यों को सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नई सामान्य स्थिति को परिभाषित करने में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बारे में जानकारी दी। समिति के सदस्यों ने पहलगाम हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की। भारत और अमेरिका अपने अटूट संकल्प में एक साथ खड़े हैं और सभी रूपों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।”
थरूर से वाणिज्य मंत्री मंत्री हॉवर्ड ल्यूटनिक की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत सरकार द्वारा रूस से सैन्य उपकरण खरीदना, अमेरिका को नापसंद है, इस पर भारतीय सांसद ने कहा कि कुछ खास हथियार आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता के तरीके में लगातार बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि भारत को अब भी रूसी कलपुर्जों की बहुत जरूरत है, लेकिन “यह स्थिति चरम से बहुत कम हो गई है।”
थरूर ने कहा कि तुलनात्मक रूप से, पाकिस्तान की 81 प्रतिशत हथियार प्रणालियों का आयात चीन से होता है। भारतीय दूतावास में प्रेस वार्ता के दौरान इसी तरह के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रतिनिधिमंडल के सदस्य तेजस्वी सूर्या ने कहा कि कुछ चर्चाओं में यह मुद्दा सामने आया था।
सूर्या ने कहा, “लेकिन हमने अमेरिकियों को यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के विपरीत… भारत के सैन्य उपकरण न केवल स्वदेशी रूप से विकसित किए जा रहे हैं, बल्कि बहुत विविध भी हैं।” उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इजराइल से सैन्य उपकरण खरीदे हैं।