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Nirjala Ekadashi : रवि योग में निर्जला एकादशी कल, कब और कैसे करें व्रत का पारण, जानें नियम और विधि – Utkal Mail

अमृत विचार। इस एकादशी को करने से व्यक्ति को वर्ष भर की 24 एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है इस वर्ष 2025 में, निर्जला एकादशी का व्रत दो दिन मनाया जाएगा पहले दिन स्मार्त निर्जला एकादशी (गृहस्थ) का व्रत होगा और दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी(साधु संत) का व्रत रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 3:15 बजे से शुरू होकर 7 जून 2025 को सुबह 5:15बजे समाप्त होगी।

    स्मार्त निर्जला एकादशी व्रत: 6 जून 2025, शुक्रवार
    वैष्णव निर्जला एकादशी व्रत: 7 जून 2025, शनिवार

इस दिन व्रत करने वाले गृहस्थों के लिए यह व्रत 32 घंटे 21 मिनट तक रहेगा व्रत सूर्योदय से शुरू होगा और पारण के समय तक चल सकता है।

निर्जला एकादशी व्रत के नियम और विधि

निर्जला एकादशी का व्रत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें जल और भोजन का पूरी तरह त्याग किया जाता है इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पालन संयम और नियम से करना चाहिए।
क्या करें:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें
भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें
पूरे दिन बिना जल और अन्न के रहें
हरि नाम का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
जरूरतमंदों को दान करें और ब्राह्मण भोजन कराएं

स्मार्त और वैष्णव निर्जला एकादशी में अंतर

जब एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब पहले दिन स्मार्त व्रत और दूसरे दिन वैष्णव व्रत करने की मान्यता है।
स्मार्त व्रत: इसे सामान्य गृहस्थ और अनुयायी करते हैं।
वैष्णव व्रत: इसे वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी पालन करते हैं।
गृहस्थ भी वैष्णव व्रत रख सकते हैं, लेकिन उन्हें वैष्णव संप्रदाय के नियमों का पालन करना होगा।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट होते हैं भीम ने इस व्रत का पालन किया था, क्योंकि वो अन्य एकादशियों का पालन नहीं कर पाते थे इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है इसके अलावा, यह व्रत मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी लाभकारी है।

निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

1.    सभी एकादशियों का पुण्य: इस एकादशी के व्रत से वर्षभर की सभी एकादशियों के व्रत के समान पुण्य फल प्राप्त होता है
2.    पापों का नाश: इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
3.    मोक्ष की प्राप्ति: निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को विष्णु लोक में स्थान मिलता है।
4.    शारीरिक और मानसिक शुद्धि: यह व्रत मन को शुद्ध करने और संयम रखने की प्रेरणा देता है।
5.    दान का महत्व: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करने से भी पुण्य लाभ मिलता है।

आचार्य पवन तिवारी 
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान

 


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