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पर्यावरण संरक्षण को लेकर 'किताबी-दिखावटी सैद्धांतिकता' से ऊपर उठें : अखिलेश यादव – Utkal Mail

अमृत विचार : समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण को ‘हमारा पहला परिवार’ बताते हुए लोगों से पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘किताबी-दिखावटी सैद्धांतिकता’ से ऊपर उठकर आगे बढ़ने और ईमानदारीपूर्ण नजरिया अपनाने का आग्रह किया। यादव ने ‘एक्स’ पर एक लम्बी पोस्ट में जोर देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण को किताबी प्रतिबद्धताओं या प्रतीकात्मक भावों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उसे प्रकृति के मूर्त और अमूर्त पहलुओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से वास्तविक कार्रवाई में तब्दील किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”प्रिय पर्यावरणवंशियों, पर्यावरण ही प्रथम परिवार है। पर्यावरण संरक्षण हमारा प्राकृतिक धर्म है।” सपा प्रमुख ने कहा, ”आज पर्यावरण दिवस है। ये दिन है पर्यावरण के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता, वचनबद्धता और किताबी-दिखावटी सैद्धांतिकता से ऊपर उठकर कर्मठता के स्तर पर परिधिमय प्राकृतिक आवरण को बचाये-बनाए रखने का।” यादव ने कहा, ”एक पर्यावरण हमारे आसपास होता है और एक वो भी होता है, जो हमारे देखने-छूने व अन्य इंद्रियों की क्षमताओं से परे होता है। हमें उसे भी बचाना है तभी ये धरा-धरती जीवनदायिनी बनी रहेगी।” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “एक पर्यावरण हमारे अंदर भी होता है और वो होता है, भावनाओं, संवेदनाओं और सहनशीलता का पर्यावरण, जो हमसे विविधताओं को स्वीकार करवाता है और औरों के साथ जीना सिखाता है।

एकरंगी को बहुरंगी बनाता है। यही आंतरिक पर्यावरण मानव होने की कसौटी होता है। यही हमें सकारात्मकता से भरता है, यही हमारी सोच और हमारे विचार का क्षितिज बड़ा करता है।” उन्होंने कहा, ”इसी के आधार पर हम देश, काल, समय की सीमा से परे जाना सीखते हैं और ऐसे काम करने के लिए प्रेरित होते हैं जिनका लाभ देश-दुनिया के समाज को युगों-युगों तक मिलता है।” यादव के मुताबिक, जब ये आंतरिक पर्यावरण संरक्षित होता है, तभी बाहरी पर्यावरण संरक्षित हो सकता है और इसके मूल में करुणा और प्रेम होता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”पर्यावरण एक साझी विरासत है इसीलिए ये किसी एक का ही नहीं, किसी एक पीढ़ी का ही नहीं बल्कि सबका मिला-जुला दायित्व है।

ये वर्तमान के लाभ-हानि के तराज़ू पर तौलने का मुद्दा नहीं है बल्कि पृथ्वी के प्राकृतिक भविष्य के लिए किया गया प्रयासों और संसाधनों का सर्वथा सार्थक निवेश है।” उन्होंने कहा, ”पर्यावरण ही मानवीय एकता का सबसे साक्षात और बुनियादी आधार है।आइए हम पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए हाथ बढ़ाएं और हाथ मिलाएं, मेलमिलाप व मेलजोल से अंदर-बाहर की विविधताओं से युक्त सौहार्द को बढ़ाएं, सबको गले लगाएं और आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेहतर दुनिया दे जाएं।” पर्यावरण के मुद्दों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की पहल पर वर्ष 1972 से ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ हर साल पांच जून को मनाया जाता है।

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