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भविष्य के परिवहन का साधन होंगे इलेक्ट्रिक वाहन – Utkal Mail


मेलबर्न। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के वास्ते देशों को विविध नीतियों को अपनाने की जरूरत है। असल में परिवहन में शामिल वाहनों से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में इजाफा हो रहा है। यह उत्सर्जन वर्ष 1990 से अब तक औसतन 1.7 फीसदी की सालाना दर से करीब 56 फीसदी तक बढ़ चुका है। यह अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र में उच्चतम उत्सर्जन दर को दर्शाता है। परिवहन से होने वाले उत्सर्जन में करीब 74.5 प्रतिशत योगदान सड़क पर चलने वाले वाहनों का है जिनमें कार, वैन, बस और ट्रक सहित अन्य वाहन शामिल हैं।

 निवल शून्य (नेट जीरो) के लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से धरती के वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को तेजी से कम करने की जरूरत है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों को परिवहन समाधान का अहम हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन समस्या यह है कि ईवी के उपयोग में तेजी कैसे लाई जाए और इस पर्यावरण हितैषी विकल्प को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के वास्ते किस तरह की पूरक रणनीति अपनाई जाए। वैश्विक ईवी बाजार में ईवी वाहनों की बिक्री में पिछले कुछ सालों से तेज इजाफा हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2022 में एक करोड़ से अधिक ईवी की बिक्री हुई, यह संख्या बेची गई कुल नयी कारों की संख्या के 14 फीसदी के बराबर है।

 ईवी को अपनाने की दर दुनियाभर में हर जगह समान नहीं है। लेकिन सरकारी नीतियों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है जिन्होंने दुनिया के शीर्ष तीन ईवी बाजारों (चीन, यूरोप और अमेरिका) में ईवी को अपनाने की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। वर्ष 2022 में इन तीन बाजारों का दुनियाभर में बिकने वाले ईवी में सम्मलित योगदान करीब 90 फीसदी है। जिन सरकारों ने ईवी खरीदने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया, वे ईवी के प्रति उपभोक्ता की भावनाओं में पर्याप्त बदलाव लाने में सफल रहीं। ये प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक और पारंपरिक वाहनों के बीच खरीद मूल्य के अंतर को कम करने के लिए डिजाइन किए गए थे। 

ये प्रोत्साहन वाहन खरीद सब्सिडी या छूट या पंजीकरण कर में छूट के रूप में उपलब्ध कराए गए। इस तरह के उदाहरणों में वे प्रोत्साहन योजनाएं शामिल हैं जो 1990 के दशक से नार्वे में, 2008 से अमेरिका में और 2009 से चीन में लागू हैं। दुनियाा के विभिन्न हिस्सों में ईवी के खरीद मूल्य में काफी अंतर है। नार्वे की सड़क पर ईवी के चालक को कम टोल देना पड़ता है, वे बस की लेन में जा सकते हैं और सस्ती दर पर सार्वजनिक पार्किंग सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इस देश में अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के पास सरकारी कानून द्वारा सुरक्षित ‘चार्जिंग अधिकार’ हैं। 

इन सब की वजह से नार्वे में 2020 में ईवी की बिक्री 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के बराबर हो गई जो 2022 तक बढ़कर 79 प्रतिशत हो गई। लेकिन कोई अन्य देश इसके करीब भी नहीं है। फ्रांस कम आय वाले लोगों को ईवी खरीदने के लिए लक्षित प्रोत्साहन प्रदान करता है। 14,089 यूरो तक की वार्षिक आय वाले व्यक्ति नए ईवी की खरीद पर 7,000 यूरो तक का बोनस प्राप्त करने के पात्र हैं, जबकि इस सीमा से ऊपर वालों को अधिकतम 5,000 यूरो की सब्सिडी मिलती है। सब्सिडी की सीमा भी वाहन के सकल खरीद मूल्य के 27 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 प्रोत्साहन कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर उच्च करों के साथ-साथ अधिक चालकों को इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यूरोपीय संघ में, 27 में से 21 सदस्य देशों ने 2022 में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के आधार पर आंशिक या पूर्ण रूप से कार कर लगाया। आयरलैंड ने पहली बार 2008 में उत्सर्जन-आधारित कार कराधान नीति पेश की। इसके प्रभावों के विश्लेषण से पता चला कि इसने 2008 से 2018 तक 16 लाख टन की संचयी कार्बन डाइऑक्साइड बचत की। नॉर्वे के वाहन उत्सर्जन-आधारित करों का मूल्यांकन करने वाले इसी तरह के एक अध्ययन में पाया गया कि ये नीतियां बहुत कारगर हैं जिनसे वायु प्रदूषण में बहुत कमी आई है। 

अन्य सहायक नीतियों में तथाकथित ‘फीबेट सिस्टम’ (शुल्क प्रणाली) शामिल है। ‘फीबेट सिस्टम’के तहत उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों की खरीद पर शुल्क (लेवी) लगाया जाता है और इससे मिलने वाली राशि का उपयोग शून्य या कम उत्सर्जन वाले वाहनों की खरीद पर छूट प्रदान करने के लिए किया जाता है ताकि उनकी ऊंची कीमतों की भरपाई की जा सके। इसके उदाहरणों में फ्रांस का ‘बोनस-मैलस’ और न्यूजीलैंड का ‘क्लीन कार डिस्काउंट’ शामिल हैं। 35 से अधिक देश पहले ही आगामी 10 से 30 वर्षों में आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने और पूर्ण रूप से विद्युत चालित वाहन (ईवी) को अपनाने की घेषणा कर चुके हैं। यूरोपीय संघ की योजना आंतरिक दहन इंजन वाली कार पर वर्ष 2035 से प्रतिबंध लगाने की है। 

ईवी अपनाने की उच्च दर वाले देशों ने भी मजबूत ईंधन दक्षता मानकों के साथ अपनी परिवहन ‘डीकार्बोनाइजेशन’ रणनीतियों का समर्थन किया है। ‘डीकार्बोनाइजेशन’ का आशय कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में कमी लाने से है। इन मानकों का उद्देश्य कार कंपनी की समग्र नई कारों की बिक्री से कार्बन उत्सर्जन के अधिकतम वार्षिक औसत स्तर को अनिवार्य करके वाहन जनित उत्सर्जन को सीमित करना है। इन अधिकतम स्तरों को पार करने पर कार निर्माताओं पर जुर्माना लगाया जाता है।

 हाल के दिनों में कुछ देशों ने इन मानकों को और सख्त करने का प्रस्ताव दिया है। उदाहरण के लिए, अमेरिका की योजना तय की गई उत्सर्जन की नयी और सख्त सीमा लागू करने की है जिसके तहत 2032 तक अमेरिका में बेचे जाने वाले दो-तिहाई वाहनों का इलेक्ट्रिक होना आवश्यक हो जाएगा। अनिवार्य ईंधन दक्षता मानकों के बिना ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ओईसीडी देश है, लेकिन संघीय सरकार ने 2023 के अंत तक योजना शुरू करने की घोषणा की है। 

ऑस्ट्रेलिया में ईवी वाहनों का इस्तेमाल फिलहाल बहुत कम है जो नयी कारों की बिक्री के करीब 8.4 फीसदी के बराबर है, लेकिन वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 20 फीसदी है। धरती मानव की वर्तमान परिवहन संबंधी आदतों का बोझ नहीं उठा सकती। स्वच्छ परिवहन को अपनाने में तेजी लाने के लिए रणनीतियां लागू करना 2050 तक निवल शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

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