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योग से 40% तक कम हो सकता है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा, जानें क्या कहती है RSSDI की रिपोर्ट – Utkal Mail


नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा को ‘योग और टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम’ पर आधारित एक नई शोध रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित योग अभ्यास से उन लोगों में, जो टाइप 2 डायबिटीज के प्रति संवेदनशील हैं, इस बीमारी का खतरा 40% तक कम हो सकता है। स्वयं मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. सिंह ने इस अध्ययन की महत्ता पर जोर दिया।

गुरुवार को जारी एक सरकारी बयान के अनुसार, यह रिपोर्ट ठोस वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित है। इसे रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) ने अपने पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस.वी. मधु के नेतृत्व में तैयार किया है, जो वर्तमान में दिल्ली के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य टाइप 2 डायबिटीज के प्रबंधन के बजाय इसकी रोकथाम में योग की भूमिका को उजागर करना है। 

रिपोर्ट सौंपने के बाद डॉ. सिंह ने कहा कि यह टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम में योग के प्रभाव को वैज्ञानिक रूप से दस्तावेज करने वाला पहला प्रयास है। शोधकर्ताओं ने बताया कि नियमित योग करने वालों में इस बीमारी की संभावना 40% तक कम हो सकती है। अध्ययन में कुछ विशेष योग आसनों का भी जिक्र है, जो इस दिशा में प्रभावी पाए गए हैं। यह शोध खास तौर पर उन लोगों पर केंद्रित है, जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है और जिनमें इस बीमारी के विकसित होने का जोखिम अधिक है। शोध का लक्ष्य यह पता लगाना था कि क्या योग के जरिए इस बीमारी की शुरुआत को पूरी तरह रोका जा सकता है। 

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यह अध्ययन आरएसएसडीआई के तहत किया गया, जो भारत में मधुमेह अनुसंधान और चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित संगठनों में से एक है। डॉ. सिंह ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग भी इसी तरह के शोध में जुटा है, जिसमें योग जैसे पारंपरिक स्वास्थ्य उपायों के निवारक और चिकित्सीय लाभों का अध्ययन किया जा रहा है। 

इस रिपोर्ट को भारत की समृद्ध स्वास्थ्य परंपरा और आधुनिक विज्ञान के मेल का प्रतीक बताते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “यह शोध दर्शाता है कि योग जैसी प्राचीन पद्धतियों को वैज्ञानिक तरीकों से परखकर स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है। यह निवारक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने और स्वस्थ भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” 

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