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झूठ की सुनामी थी, ईश्वर की कृपा, साथियों की मदद ने बचाया: Adani – Utkal Mail

नई दिल्ली। अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिका की मंदडिया फर्म हिंडेनबर्ग की विवादास्पद रिपोर्ट के एक वर्ष पूरे होने पर समूह के प्रमुख गौतम अदाणी ने कहा है उनकी कंपनियों की ठोस हकीकत ‘झूठ की सुनामी’ से ध्वस्त होती नजर आ रही थी लेकिन ‘ईश्वर की कृपा’ और तमाम साथियों के सामूहिक प्रयास से समूह संकट से उबरने में सफल रहा। 

अदाणी ने हिंडेनबर्ग रिपोर्ट से उठे भूचाल के बारे में कहा है कि उस समय “ मीडिया में कुछ लोगों की सहायता और प्रोत्साहन से हमारे खिलाफ झूठ इतना प्रभावी था कि हमारे पोर्टफोलियो की जमीनी वास्तविकतायें धूल धूसरित होती महसूस हो रही थीं। ” उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश के लिये एक भयावह स्थिति होती, लेकिन “ ईश्वर की कृपा और तमाम साथियों की सामूहिक कोशिशों से हम इस संकट से उभरे और मजबूत स्थिति में पहुंच गये। ”

 बंदरगाह, हवाईअड्डा, बिजली, सीमेंट और मीडिया जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे अदाणी समूह के प्रमुख ने एक विस्तृत लेख में कहा है, “ इस मुश्किल वक्त में वित्तीय निवेशक, ऋणदाता और रेटिंग एजेंसी सहित वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ, इस झूठ की सुनामी में भी पूरी ताकत से हमारे सच की पतवार को थामे रहे। ” 

उल्लेखनीय है कि 24 जनवरी , 2023 को हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर बुरी तरह धराशायी हो गये थे। इस रिपोर्ट में कंपनी पर शेयर बाजार में घड़ल्ले से हेराफेरी और लेखा-जोखा में गड़बडी करने का आरोप लगाया गया था। इसके असर से समूह को अपनी मुख्य कमंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज का अनुवर्ती सार्वजिनक शेयर निर्गम (एफपीओ) वापस लेना पड़ा, जिसमें उसे 20 हजार करोड़ रुपये जुटाने थे।

रिपोर्ट के एक साल बाद से अदाणी समूह के शेयरों भाव उठ खड़े हुये हैं और इस मामले में न्यायालय का निष्कर्ष समूह के अनुकूल आया है। अदाणी ने कहा है, “ हमें अतीत में जीना नहीं चाहिये लेकिन उससे सीख लेते हुे निरंतर आगे बढ़ना चाहिये। आज का दिन भी ऐसा ही मौका है। ” ठीक एक साल पहले न्यूयार्क स्थित शार्ट सेलर फर्म ने तथाकथित शोध रिपोर्ट पेश करते हुए अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों का संकलन सार्वजनिक किया था। 

उन्होंने इस बात को दोहरया है कि अमेरिकी मंदिया फर्म हिंडेनबर्ग ने जो भी रिपोर्ट दी थी, उसमें उल्लिखित तमाम आरोप, हमारे विरोधी समय-समय पर पहले भी लगाते रहे थे। उन्होंने कहा है, “ कुल मिलाकर, यह प्रकट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी से प्राप्त चुनिंदा अर्धसत्यों का एक चालाकी से तैयार किया गया मसौदा भर ही था। इन आरोपों को सिरे से खारिज कर हमने त्वरित प्रतिक्रिया दी लेकिन हमारी प्रतिक्रिया पर इस बार तथ्यहीन आरोप हावी हो रहे थे। ”

उन्होंने कहा कि शेयर बाजार और राजनीतिक बयानबाजी ने हमें कुछ ही समय में मामले की गंभीरता का अहसास करा दिया था। शॉर्ट-सेलिंग हमलों का प्रभाव आम तौर पर वित्तीय बाजारों तक ही सीमित होता है, लेकिन यह एक अनोखा द्वि-आयामी हमला था – एक वित्तीय और दूसरा राजनैतिक। अदाणी ने कहा है कि सामान्यत: पूंजी बाजार तर्कसंगत से अधिक भावनात्मक होते हैं। 

उन्होंने कहा, “ मुझे अधिक चिन्ता इस बात की हो रही थी कि हजारों छोटे निवेशकों अपनी बहुमूल्य बचत खो रहे थे। साथ ही, देश के लिहाज से भी चिंता का विषय यह था कि यदि हमारे विरोधियों की योजना पूरी तरह से सफल हो जाती तो डोमिनो प्रभाव (एक के प्रभाव से दूसरे का गिरना) से बंदरगाहों, हवाई अड्डों से लेकर बिजली उत्पादन-आपूर्ति श्रृंखला तक कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की संपत्तियों को नुकसान पहुंच सकता था। ”

उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश के लिए एक भयावह स्थिति ही होती, लेकिन ईश्वर की कृपा और तमाम साथियों की सामूहिक कोशिशों से हम इस संकट से उभरे और मजबूत स्थिति में पहुंच गये। उन्होंने कहा है कि उस समय अदाणी समूह का साथ देने वालों को कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति एवं संचालय व्यवस्था की गहराई से जानकारी थी। 

इस हमले से निपटने की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा है, “ हमने दशकों से अपनाई पारदर्शी तथ्य और सत्य पर आधारित कार्यपद्धति को ही रणनीति का आधार बनाया। हमारा पहला निर्णय अपने निवेशकों की सुरक्षा करना था। बीस हजार करोड़ रुपये का एफपीओ पूरा सब्सक्राइब हो जाने के बाद भी हमने वह राशि निवेशकों को वापस लौटाने का फैसला लिया।” 

उन्होंने इसे दुनिया के कॉर्पोरेट इतिहास में अभूतपूर्व इस कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि इस लड़ाई में समूह का 30 हजार करोड़ रुपये का नकदी भंडार उनके पास सबसे बड़ा हथियार था। इसके अलावा, कंपनियों हमने अपनी हिस्सेदारी को घटाकर अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये जुटाये, इससे हमारी वित्तीय स्थिति और मजबूत हुई तथा कंपनी अगले दो वर्षों के लिए कर्ज चुकाने की स्थिति में आ गयी। 

उन्होंने कहा है, “ हमने अपने वित्तीय और गैर-वित्तीय हितधारकों के लिए एक व्यापक जुड़ाव कार्यक्रम भी चलाया। अकेले वित्तीय टीम ने शुरुआती 150 दिनों में दुनिया भर में करीब 300 बैठकें कीं, जिससे नौ रेटिंग एजेंसियों द्वारा 104 संस्थाओं की रेटिंग की पुष्टि सुनिश्चित की गयी। ” उन्होंने कहा है, “ 

इस चुनौतीपूर्ण रहे एक वर्ष में, कंपनी के शेयरधारकों में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हम अभी भी अपनी विकास गति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समूह ने अपना निवेश जारी रखा, जिसका प्रमाण हमारी परिसंपत्ति आधार में 4.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि है।” अदाणी समूह के प्रमुख ने कहा, “ राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में हम अपने उच्च नैतिक मूल्यों, पारदर्शी कार्यप्रणाली और विश्व स्तरीय गुणवत्ता के उपक्रमों के माध्यम से आहुति देने के लिये सदैव तत्पर रहेंगे। ”

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