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राजनीति आम आदमी की भलाई के लिए की जानी चाहिए: मद्रास हाईकोर्ट – Utkal Mail


चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि राजनीति आम आदमी और देश की भलाई के लिए की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि मौद्रिक और व्यक्तिगत लाभ हासिल करने के लिए लोगों के जीवन से खेलना न केवल सत्ता का दुरुपयोग है, बल्कि संवैधानिक आदर्शों के खिलाफ है।

न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम ने आर. गिरिजा नामक महिला द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर हाल में एक आदेश में ये टिप्पणियां कीं। गिरिजा ने अपने किरायेदार एवं सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के पदाधिकारी एस. रामलिंगम द्वारा अदालत के आदेश के बावजूद दस साल से अधिक समय से उनका मकान खाली करने से इनकार करने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 

न्यायाधीश ने कहा कि राजनीति से जुड़े लोग आम आदमी के जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि एक नेता के शब्दों और कार्यों का उनके समर्थकों, पार्टी के लोगों और जनता पर प्रभाव पड़ता है। न्यायाधीश ने कहा कि यह जरूरी है कि इस अधिकार का दुरुपयोग अवैध और व्यक्तिगत लाभ के लिए न किया जाये। न्यायाधीश ने कहा कि राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल केवल जनता के लाभ के लिए किया जाना चाहिए, न कि उनके नुकसान के लिए। 

न्यायााधीश ने कहा कि जब राजनीति के लोगों को आम जनता द्वारा ऐसी ताकत दी गई है, तो इसका इस्तेमाल सामाजिक रूप से लाभकारी मुद्दों के लिए किया जाना चाहिए, न कि स्वयं के लाभ के लिए। इससे पहले, जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो पुलिस उपायुक्त (प्रशासन), ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि इस अवमानना याचिका पर अदालत द्वारा एक सितंबर, 2023 को पारित आदेश का अनुपालन किया गया है। 

किरायेदार को पहले ही बेदखल कर दिया गया है और पुलिस अधिकारियों ने खाली मकान मालकिन को सौंप दिया है। याचिकाकर्ता के वकील ने भी इस बात को स्वीकार किया। न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान अवमानना याचिका के मामले में बुजुर्ग महिला को पुलिस की सहायता से अदालत के जरिये किरायेदार से मकान खाली कराने में 12 साल लग गए। न्यायाधीश ने कहा कि कई वर्षों से किराया नहीं दिया गया है। 

याचिकाकर्ता के पति की उम्र लगभग 75 वर्ष है। वृद्धावस्था में वरिष्ठ नागरिकों को अपने चिकित्सा खर्च को पूरा करने और सामान्य जीवन जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है। न्यायाधीश ने कहा कि किरायेदार द्वारा ​​याचिकाकर्ता के पक्ष में किराये की बकाया राशि का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। उन्होंने रामलिंगम को व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के जरिये 11 सितंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। 

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