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International Labor Day: कब हुई मजदूर दिवस की शुरुआत? जानें इसके पीछे की रोचक वजह  – Utkal Mail

अमृत विचार। हर साल 1 मई को दुनियाभर में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस श्रमिकों के योगदान और उनके प्रति सम्मान करने का दिन है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर कई देश आधिकारिक सार्वजानिक अवकाश करते है इस दिन हर साल मजदूरों के सम्मान में रैलिया, सभाएं और अन्य कार्यक्रम आयोजित करते है। 

भारत में श्रमिक

श्रमिकों को महत्व देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 16 अक्टूबर 2014 को एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जितनी ताकत ‘सत्यमेव जयते’ की है उतनी ही ताकत राष्ट्र के विकास के लिए ‘श्रमेव जयते’ की भी है। देश में मजदूरों के अधिकारों को देखते हुए तमाम योजनाओं की शुरुआत की गई। 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस का इतिहास

अलग-अलग देशो में इसकी अलग कहानियां हैं। लेकिन सभी देश की कहानियों में शोषण के खिलाफ श्रमिक वर्ग ही इसका हीरो रहा है। इस दिवस के आने से पहले वैश्विक स्तर पर मजदूर वर्ग की मृत्यु, चोट लगना और खतरनाक कामकाजी परिस्तिथियां आम थी। 

19 वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण के उदय से अमेरिका ने मजदूरों का शोषण किया और जटिल वातावरण में उनसे 15 घंटे काम करवाया। इस दौरान मजदूरों की बढ़ती मौत से श्रमिक वर्ग अपनी सुरक्षा के लिए आवाज बुलंद करने लगे। श्रमिकों द्वारा किये गए प्रयासों ने American Federation of Laborने 19 वीं शताब्दी के अंत तक शिकागो में आयोजित हुई एक सम्मलेन में श्रमिकों के काम करने के लिए 8 घंटो का कानूनी समय घोषित कर दिया था।

भारत में चेन्नई से हुई थी शुरुआत

 लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को भारत में पहला मजदूर दिवस मनाया था। पार्टी के नेता ने दो स्थानों पर मजदूर दिवस का आयोजन करवाया था-एक मद्रास उच्च न्यायालय के सामने वाले समुद्र तट पर और दूसरा त्रिपलीकेन समुद्र तट पर। यह दिन मजदूर आंदोलन से जुड़ा है इसे हिंदी में ‘कामगार दिन’ मराठी में ‘कामगार दिवस’ और तमिल में ‘उझाईपलर नाल’ के नाम से जाना जाता है और यह पहली बार था जब भारत में मजद्दोर दिवस पर लाल झंडे का इस्तेमाल प्रतिक के रूप में हुआ। 

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