भारत और ब्रिटेन के ऐतिहासिक व्यापार समझौते से किताना होगा फायदा? जानें कौन से उत्पादों का घटा शुल्क – Utkal Mail

लंदन: भारत और यूनाइटेड किंगडम ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दिया। इस समझौते के तहत भारत से ब्रिटेन को होने वाले 99% निर्यात पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगेगा, जबकि ब्रिटिश वाहनों और व्हिस्की जैसे उत्पादों पर शुल्क में कमी होगी। अगले वर्ष से लागू होने वाला यह समझौता 2030 तक दोनों देशों के बीच मौजूदा 56 अरब डॉलर के व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखता है।
भारत ने चॉकलेट, बिस्कुट और सौंदर्य प्रसाधनों जैसे उपभोक्ता उत्पादों के लिए अपने बाजार को और खोल दिया है। इसके बदले में, भारतीय वस्त्र, जूते, रत्न-आभूषण, खेल सामग्री और खिलौनों को ब्रिटेन में आसान बाजार पहुंच मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि 99% उत्पादों पर शुल्क-मुक्त सुविधा से भारत को विशेष लाभ होगा, जो व्यापार मूल्य के लगभग पूरे हिस्से को कवर करता है। इसके अतिरिक्त, टीसीएस और इन्फोसिस जैसी भारतीय आईटी कंपनियों को ब्रिटेन में कार्यरत भारतीय कर्मचारियों के लिए तीन साल तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट मिलेगी।
इस समझौते को ‘व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता’ (सीईटीए) नाम दिया गया है, जिसे तीन साल की गहन वार्ता के बाद मूर्त रूप दिया गया। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी और केअर स्टार्मर, भी उपस्थित थे। स्टार्मर ने इसे दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि यह समझौता आपसी वचनबद्धता को पूरा करने का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को ‘साझा समृद्धि का रोडमैप’ करार देते हुए कहा कि भारत और ब्रिटेन ‘स्वाभाविक साझेदार’ हैं, जो अपने इतिहास में नया अध्याय जोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह समझौता भारतीय वस्त्र, जूते, रत्न-आभूषण, समुद्री खाद्य और इंजीनियरिंग उत्पादों को ब्रिटेन में बेहतर बाजार उपलब्ध कराएगा, साथ ही कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को नई संभावनाएं देगा। मोदी ने कहा, “यह समझौता भारत के युवाओं, किसानों, मछुआरों और एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा। वहीं, ब्रिटेन के चिकित्सा उपकरण और वैमानिकी उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं और उद्योगों के लिए किफायती कीमतों पर उपलब्ध होंगे।”
दोनों देशों ने ‘दोहरे अंशदान समझौते’ (डीसीसी) पर भी सहमति जताई, जिससे प्रौद्योगिकी और वित्त जैसे सेवा क्षेत्रों में नई गति आएगी। मोदी ने क्रिकेट की शैली में कहा, “कभी-कभी गेंद पर बल्ला लगाने में चूक हो सकती है, लेकिन हम सीधे और मजबूत साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
ब्रिटिश व्यापार विभाग के अनुसार, इस समझौते से औसत सीमा शुल्क 15% से घटकर 3% हो जाएगा, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को ब्रिटिश सॉफ्ट ड्रिंक, सौंदर्य प्रसाधन, कार और चिकित्सा उपकरण जैसे उत्पाद आसानी से उपलब्ध होंगे। व्हिस्की पर शुल्क को तत्काल 150% से 75% कर दिया जाएगा, और अगले दस वर्षों में इसे 40% तक कम किया जाएगा। भारत से ब्रिटेन को होने वाले लगभग आधे निर्यात, जैसे वस्त्र, जूते, आम और अंगूर, पर शुल्क पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन पहले से ही भारत से 11 अरब पाउंड का आयात करता है। शुल्क में कमी से भारतीय उत्पाद ब्रिटिश उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए और सुलभ हो जाएंगे, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी। इस समझौते से ब्रिटेन की जीडीपी में सालाना 4.8 अरब पाउंड की वृद्धि होने का अनुमान है, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में, जहां वैमानिकी कलपुर्जों पर शुल्क 11% से शून्य और वाहनों पर 110% से 10% हो जाएगा।
ब्रिटेन का अनुमान है कि यह समझौता 2040 तक द्विपक्षीय व्यापार में 39% की वृद्धि करेगा, जो 25.5 अरब पाउंड के बराबर है। इससे दोनों देशों को नए अवसर मिलेंगे और आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
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