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Delhi School : दिल्ली-NCR के स्कूलों में RTI अधिनियम का उल्लंघन, कक्षा 6-7 के छात्रों को रोकने पर पेरेंट्स ने उठाये सवाल   – Utkal Mail

अमृत विचार। दिल्ली-एनसीआर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का कथित तौर पर उल्लंघन करते हुए कक्षा छह और सात के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया। शिक्षा कार्यकर्ताओं और अभिभावकों द्वारा इस बात का दावा किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 में 2019 में संशोधन के बाद दिसंबर 2024 में ‘कुछ मामलों में परीक्षा और रोक’ के संबंध में नियमों को अधिसूचित किया था। 

शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर 2024 को “बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम, 2024” शीर्षक से एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई बच्चा नियमित परीक्षा में कक्षा पांच या कक्षा आठ में प्रोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे वर्तमान कक्ष में ही रोका जा सकता है। अधिवक्ता और शिक्षा कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए कहा, ‘ संशोधित नियमों के अनुसार स्कूलों को कक्षा पांच और कक्षा आठ में ही विद्यार्थियों को रोकने की अनुमति है, वह भी उन्हें परिणाम घोषित होने की तिथि से दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा के लिए अतिरिक्त अवसर दिए जाने के बाद।’ अशोक अग्रवाल ने कहा, ‘संशोधन से पहले कक्षा आठ तक ‘नो डिटेंशन पॉलिसी (वर्तमान कक्षा में प्रोन्नति देने की नीति)’ थी। 

लेकिन सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके पांचवीं और आठवीं कक्षा में (आवश्यकता पड़ने पर) प्रोन्नति नहीं देने का प्रावधान कर दिया। लेकिन कई निजी स्कूल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अभिभावकों पर अपनी शर्तें थोप रहे हैं।  कई अभिभावकों ने शिकायत की कि स्कूल इस बात पर जोर देते हैं कि वे या तो स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र लें या फिर बच्चे को छठी या सातवीं कक्षा में दोबारा पढ़ने दें। 

गुरुग्राम स्थित एक अभिभावक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मेरा बेटा कक्षा छह में है और हमें बताया गया है कि यदि वह मई में होने वाली पुनः परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा। लेकिन, नियम कहते हैं कि छात्रों को पांचवीं और आठवीं कक्षा के अलावा किसी अन्य कक्षा में नहीं रोका जा सकता। इस साल मेरा बेटा खराब स्वास्थ्य के कारण अच्छे अंक नहीं ला सका।’ 

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय से जुड़ी शिक्षाविद् प्रोफेसर अनीता रामपाल ने निजी स्कूलों द्वारा अधिनियम की घोर अवहेलना पर आश्चर्य व्यक्त किया। प्रोफेसर रामपाल ने कहा, ‘अगर स्कूल कक्षा छह और सात में बच्चों को रोकते हैं, तो वे आरटीई अधिनियम का मजाक उड़ा रहे हैं। मैं उनके माता-पिता को सलाह देती हूं कि वे नजदीकी जिला या सत्र न्यायालय में इसकी शिकायत दर्ज कराएं।’ उन्होंने कहा, ‘स्कूलों को यह समझना चाहिए कि यह अधिनियम बच्चों को कुछ संवैधानिक अधिकार देता है।’ 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली ने कहा कि न तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम और न ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा किसी भी स्कूल को कक्षा छह और सात में किसी छात्र को रोकने की अनुमति देती है।

गांगुली ने सुझाव दिया कि संबंधित राज्य सरकारों और शिक्षा बोर्डों द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के अभाव के कारण इस स्तर पर कक्षा पांच और कक्षा आठ में छात्रों को रोकने पर भी सवाल उठाया जा सकता है। गांगुली ने कहा, ‘ जहां तक ​​कक्षा पांच और आठ में बच्चों को रोकने का सवाल है, संबंधित राज्यों या बोर्डों को आवश्यक निर्देश जारी करने थे, और जहां तक ​​मुझे पता है, किसी भी राज्य ने ऐसा नहीं किया है।’

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