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ओडिशा का शिक्षक चला रहा था डिजिटल अरेस्ट गिरोह, गिरफ्तार – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचार: विनय खंड निवासी चमड़ा कारोबारी रविंद्र वर्मा को डिजिटल अरेस्ट कर 47 लाख ठगने का खुलासा साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने कर दिया है। इस मामले में ओडिशा के सरकारी शिक्षक व उसके साथी को गिरफ्तार किया गया है। दोनों को साइबर क्राइम की टीम ने ओडिशा से दबोचा। गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों में ओडिशा का सरकारी शिक्षक ओडिशा के क्योंझार निवासी जयंत कुमार साहू और ओडिशा के बालेश्वर निवासी रंजीत कुमार बेहेरा शामिल हैं। डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की रकम इन दोनों के खाते में ट्रांसफर की गई थी। पुलिस की छानबीन में सामने आया कि जयंत कुमार साहू सरकारी शिक्षक है। उसकी आड़ में वह साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह के करोड़ों के रुपयों का मैनेजमेंट देख रहा था।

कई के नाम बनवा रखे थे कारपोरेट क्रेडिट कार्ड : डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित के मुताबिक आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि कई लोगों के नाम से कॉरपोरेट क्रेडिट कार्ड बनवाए थे। इन कार्ड्स में मोबाइल नंबर अपना डाल रखा था। साइबर ठगी के रुपये आईसीआईसीआई बैंक के कॉरपोरेट नेट बैंकिग और रन पैसा गेटवे के जरिए जयंत कुमार साहू की फर्म के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए जाते थे। इसके बाद साइबर फ्रॉड के रुपये क्रिप्टो करेंसी (यूएसटीडी) में बदलकर उसका बंटवारा गिरोह के सदस्यों और सरगना में किया जाता था। आरोपियों ने बताया कि रविंद्र वर्मा को डिजिटल अरेस्ट कर किए गए फ्रॉड के 27 लाख रुपये ट्रिनव डिजिटल प्रा. लि. के खाते में जमा किये गये थे। यह खाता उदित बलवंत राय के नाम से था।

परिवार के नाम बना रखी है कई कंपनियां : इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना बृजेश कुमार यादव के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपियों के परिवारीजनों के नाम से कई कंपनियां भी बनाई गई थीं। इन कंपनियों के खातों में ही साइबर फ्रॉड के रुपये ट्रांसफर किए जाते थे। आरोपी जयंत ने अपने परिजन के नाम से करीब 10 फर्जी कॉरपोरेट कंपनियां बनाई थी। जयंत की ओर बनाई गई एक कंपनी में एक महीने में साइबर ठगी के 5 करोड़ रुपये का ट्रांजक्शन किया गया था। इसके अलावा रंजीत के नाम से बनी कंपनी के बैंक अकाउंट में रोज करीब पांच लाख रुपये का ट्रांजक्शन किया जा रहा था।

यह था मामला : गोमतीनगर के विनयखंड इलाके में रवीन्द्र वर्मा रहते हैं। 20 जून को उनके पास एक कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने पीड़ित को झांसा दिया था कि उनके आधार कार्ड का प्रयोग आतंकी व अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में किया गया है। उनके खिलाफ मुम्बई के अंधेरी ईस्ट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है। इसके बाद पीड़ित की कॉल यह कह कर ट्रांसफर कर दी गई थी कि उनकी बात अंधेरी ईस्ट पुलिस से कराई जा रही है। पीड़ित को विडियो कॉल करके उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया था।

पीड़ित को जेल जाने का डर दिखाया गया था। इसके बाद सीबीआई अधिकारी बनकर एक अन्य साइबर जालसाज ने पीड़ित ने बात की थी। पीड़ित को फर्जी अरेस्ट वॉरंट और कोर्ट के सीजर ऑर्डर भेजकर डराया गया था। पीड़ित से जांच के नाम पर 47 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए थे। पीड़ित ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में इस मामले में 23 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

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