Kajari Teej 2023: आज है कजरी तीज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि – Utkal Mail
Kajri Teej 2023: कजरी तीज का पर्व हिंदू धर्म के लिए बेहद खास माना जाता है। आज यानि 2 सितंबर को कजरी तीज का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। कजरी तीज का त्योहार ज्यादातर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को कज्जली या कजरी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजली या कजरी का अर्थ काले रंग से है।
आज के दिन श्री विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। मान्यताओं में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की भी पूजा की जाती है। आज महिलाएं सारे दिन व्रत रहकर शाम को चन्द्रोदय होने पर इस व्रत का पारण किया जाता है। तो आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
शुभ मुहूर्त
कजरी तीज की तृतीया तिथि 1 सितंबर यानी कल रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो चुकी है और इस तिथि का समापन 2 सितंबर यानी आज रात 8 बजकर 49 मिनट पर होगा। कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:57 बजे से सुबह 09:31 बजे तक है। दूसरा शुभ मुहूर्त रात 09:45 बजे से रात 11:12 बजे तक।
पूजा विधि
इस दिन नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं. सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं।
नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें। नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
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