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तहव्वुर राणा से पूछताछ में मुंबई हमले में पाकिस्तान की भूमिका उजागर होने की उम्मीद  – Utkal Mail

नई दिल्ली। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए तहव्वुर हुसैन राणा को भारत में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा और जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका उजागर होगी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं को यह भी उम्मीद है कि पूछताछ में नवंबर 2008 में देश की आर्थिक राजधानी में हुए भयावह हमलों से पहले राणा की उत्तर और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों की यात्राओं के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे। 

सूत्रों के मुताबिक, राणा ने 13 नवंबर से 21 नवंबर 2008 के बीच अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ उत्तर प्रदेश के हापुड़ और आगरा के अलावा दिल्ली, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई का दौरा किया था। सूत्रों ने कहा कि संभव है कि राणा की इन यात्राओं के पीछे देशभर में अन्य स्थानों को भी निशाना बनाने की बड़ी साजिश रही हो, हालांकि उससे पूछताछ के बाद ही सटीक विवरण मिल सकेगा। 

पाकिस्तानी मूल के 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा को बृहस्पतिवार शाम एक विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की अर्जी सात अप्रैल को खारिज कर दी थी, जिससे उसे भारत लाने का रास्ता साफ हो गया था। अमेरिका में लॉस एंजिलिस के मेट्रोपॉलिटन हिरासत केंद्र में रखे गए राणा को पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी माना जाता है, जो मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। 

सूत्रों के मुताबिक, राणा से पूछताछ के जरिये जांच एजेंसियों को 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका को उजागर करने में मदद मिलेगी। पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में एक रेलवे स्टेशन, दो होटल और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में अमेरिकी, ब्रिटिश और इजराइली नागरिक भी शामिल थे। हमलों के दौरान पकड़े गए एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी की सजा दी गई थी। 

राणा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा वांछित था, जो मुंबई हमले से जुड़े मामले की जांच कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान हमले में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (हूजी) के वरिष्ठ कमांडर हाफिज मोहम्मद सईद, जकीउर-रहमान लखवी, साजिद माजिद उर्फ ​​वासी, इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान हाशिम सैयद उर्फ ​​मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ ​​पाशा की भूमिका सामने आई थी। 

सूत्रों ने कहा कि इन आरोपियों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों-मेजर इकबाल उर्फ ​​मेजर अली और मेजर समीर अली उर्फ ​​मेजर समीर के साथ साठगांठ में काम किया। सूत्रों ने बताया कि राणा लगातार मेजर इकबाल के संपर्क में था। उन्होंने कहा कि भारत की अपनी पहली यात्रा के दौरान हेडली ने राणा से फोन पर 32 से ज्यादा बार बात की थी। 

सूत्रों के मुताबिक, हेडली ने भारत की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान राणा से 23 बार, तीसरी यात्रा के दौरान 40 बार, पांचवीं यात्रा के दौरान 37 बार, छठी यात्रा के दौरान 33 बार और आठवीं यात्रा के दौरान 66 बार बात की थी, जिससे मुंबई हमलों की साजिश में उसकी सक्रिय भागीदारी का पता चलता है। अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने अक्टूबर 2009 में राणा को कोपेनहेगन (डेनमार्क) में एक अखबार के कर्मचारियों का सिर कलम करने की नाकाम साजिश में मदद देने और मुंबई हमलों की साजिश रचने वाले लश्कर-ए-तैयबा को रसद सहायता उपलब्ध कराने के आरोप में शिकागो से गिरफ्तार किया था। हालांकि, बाद में राणा को लश्कर से जुड़े मामले में बरी कर दिया गया था। 

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