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बांग्लादेश की राजधानी ढाका के निवासियों के जेहन में अब भी ताजा हैं अशांति के चरम पर पहुंचने की यादें  – Utkal Mail

ढाका। सॉफ्टवेयर इंजीनियर तौहीद-उल-इस्लाम ने कहा है कि ‘पांच अगस्त का ऐतिहासिक दिन’ उनके जेहन में अब भी ताजा है जब ढाका की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा था और एक के बाद एक कई घटनाक्रम हुए थे। ये सभी घटनाएं अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद हुई थीं, जिन्होंने बांग्लादेश के भाग्य को पूरी तरह बदल दिया। ढाका के निवासी इस्लाम ने उस दिन बांग्लादेश की राजधानी में व्याप्त अराजकता को याद करते हुए बताया कि शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मुख्य सड़कों से लेकर हवाई अड्डे तक…छह घंटे बंद रहे।

आलम ने कहा, “मेरा कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है। मैं सिर्फ बांग्लादेश के परेशान नागरिक के तौर पर विरोध प्रदर्शन देखने गया था। मैंने ढाका की सड़कों पर ऐसा जनसैलाब, इतनी भीड़ और ‘विजय’ के नारे लगाते हुए लोगों को मार्च करते कभी नहीं देखा था।” पांच अगस्त को जब सरकार विरोधी प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच गए तो प्रधानमंत्री हसीना पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर चली गईं, जबकि प्रदर्शनकारियों ने सरकार के पतन और उनके जाने को “विजय दिवस” बताया। हसीना (76) पांच अगस्त को भारत पहुंची थीं और फिलहाल वहीं रह रही हैं। इससे पहले भारत ने कहा था कि वह हसीना को खुद निर्णय लेने के लिए समय देना चाहता है। 

हालांकि, भारत में उनके दो सप्ताह के ठहराव ने कई अटकलों को जन्म दिया है। बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण प्रणाली की बहाली के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इससे पहले एक प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा था कि 16 जुलाई से 11 अगस्त के बीच बांग्लादेश में हुए दंगों में लगभग 650 लोग मारे गए हैं।

आलम ने कहा कि वह घर से बाहर निकलने में शामिल जोखिम को जानते हुए एक दर्शक के रूप में “विरोध प्रदर्शन देखने” गए थे। उन्होंने कहा, “मुझे पता था कि इसमें जोखिम है, लेकिन मैं कुछ देर तक लंबे मार्च के साथ चलता रहा और फिर घर वापस आ गया। यह ऐतिहासिक क्षण था।” पर्यटन क्षेत्र की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करने वाले आलम ने कुछ दिन पहले भारत की यात्रा की थी और वह 18 अगस्त को वापस लौट आए। 

आलम ने कहा, “ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अब परिचालन सामान्य हो गया है, लेकिन पांच अगस्त को जब यह घोषणा की गई कि हवाई अड्डा छह घंटे के लिए बंद रहेगा, तो पूरी तरह से अराजकता फैल गई थी। हवाई अड्डा बंद होने के समय कनाडा में रहने वाला मेरा बांग्लादेशी साथी वहां था, इसलिए वह विमान में सवार होकर रवाना नहीं हो सकता और उसे वापस लौटना पड़ा।” ढाका विश्वविद्यालय क्षेत्र में स्थित, देश में हुए बांग्ला भाषा आंदोलन को समर्पित स्मारक शहीद मीनार के पास रहने वाले मोहम्मद शाहिद कहते हैं कि यह स्मारक स्थल हाल ही में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र रहा है। 

उन्होंने सोमवार रात शहीद मीनार में से कहा, “जब पुलिस की गोलीबारी हुई, तब मैं अपने घर से इसकी आवाज सुन पा रहा था, सड़कों पर हजारों लोगों को कर्फ्यू के बावजूद विद्रोह करते हुए देख सकता था। जब भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो गोलियों की आवाजें मेरे दिमाग में गूंजने लगती हैं।” ढाका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई कर रहे प्रथम वर्ष के छात्र मोहम्मद मसरूर (21) ने कहा कि वह भी बाहर जाकर विरोध प्रदर्शन देखना चाहते थे, लेकिन “सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण मेरे माता-पिता ने मुझे बाहर जाने की अनुमति नहीं दी”।

उन्होंने कहा कि हालांकि अब एक अंतरिम सरकार बनी है, जो पुरानी सरकार की जगह ले रही है, “इसलिए, मैं खुश हूं” और उम्मीद करता हूं कि जल्द से जल्द नए चुनाव होंगे। संसद भंग होने के बाद आठ अगस्त को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था। यह निर्णय छात्र आंदोलन की मांग को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। 

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