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Bangladesh Violence : बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद हालात शांत, इंटरनेट सेवा अब भी ठप – Utkal Mail

ढाका। बांग्लादेश में कई हफ्तों से जारी विरोध प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के बाद सरकारी नौकरियों से जुड़ी विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस लेने के फैसले से हालात शांत होने के बावजूद इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं अब भी ठप हैं। सरकार ने सोमवार को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है और केवल आवश्यक सेवाएं चालू रहेंगी। देश में कुछ दिन पहले ही देखते ही गोली मारने के आदेश के साथ कर्फ्यू लगा दिया गया था और सैन्यकर्मी राजधानी और अन्य क्षेत्रों में गश्त कर रहे थे। देश में पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। 

प्रदर्शनकारी 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। कम से कम चार स्थानीय समाचार पत्रों में बताया गया है कि हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। अधिकारियों ने अब तक मौतों के आधिकारिक आंकड़े साझा नहीं किए गए हैं। तनाव बढ़ने पर बृहस्पतिवार को संचार सेवाएं प्रतिबंधित कर दी गई थीं। एक दिन पहले 93 प्रतिशत नौकरियां योग्यता के आधार पर देने और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण सीमा को घटाकर पांच प्रतिशत तक सीमित करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सोमवार सुबह तत्काल हिंसा की कोई सूचना नहीं मिली। शेष दो प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यकों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए है। 

रविवार रात को कुछ छात्र प्रदर्शनकारियों ने सरकार से इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का आग्रह किया। भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयक हसनत अब्दुल्ला ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि जिस पूर्ण बंद के आह्वान को उन्होंने पिछले सप्ताह लागू करने का प्रयास किया था उसे अब वापस ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “लेकिन हम ‘डिजिटल कार्रवाई’ को रोकने और इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के लिए 48 घंटे की चेतावनी जारी कर रहे हैं।” 

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार कर्फ्यू समाप्त करे और यह सुनिश्चित करे कि देश दो दिनों के भीतर सामान्य स्थिति में वापस आ जाए। जनवरी में हुए आम चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना की लगातार चौथी बार जीत के बाद हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों ने बांग्लादेश की सरकार के लिए सबसे गंभीर चुनौती पेश की। इस दौरान विश्वविद्यालयों को बंद करने के साथ इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई और सरकार ने लोगों को घर पर रहने का आदेश जारी किया। प्रदर्शनकारियों ने तर्क दिया था कि आरक्षण प्रणाली भेदभावपूर्ण थी और इससे शेख हसीना के समर्थकों को फायदा हुआ।

बंगाल के भू बंदरगाहों के माध्यम से भारत-बांग्लादेश व्यापार ठप, यात्रियों की आवाजाही जारी 
कोलकाता। बांग्लादेश में जारी हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल के भू बंदरगाहों के माध्यम से भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार सोमवार को लगातार दूसरे दिन भी ठप रहा। हालांकि यात्रियों की सीमित आवाजाही बनी रही। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। रविवार से मालवाहक ट्रकों की आवाजाही बंद है, क्योंकि सरकार द्वारा घोषित अवकाश के कारण आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पेट्रापोल भू बंदरगाह का बांग्लादेशी हिस्सा बंद है। भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि आधारित व्यापार का लगभग एक तिहाई हिस्सा पेट्रापोल के जरिए होता है। पेट्रापोल, उत्तर 24 परगना जिले के बोनगांव में स्थित है।

 भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (पेट्रापोल) के प्रबंधक कमलेश सैनी ने बताया, ‘‘व्यापार अभी बहाल होना बाकी है। हालांकि, लोगों, खासकर छात्रों की सीमा पार आवाजाही जारी है। अब तक बांग्लादेश से 700 से अधिक छात्र पेट्रापोल पहुंच चुके हैं।’’ सैनी ने कहा कि आने वाले छात्रों की बुनियादी जरूरतों में सहायता के लिए पेट्रापोल में एक सहायता डेस्क स्थापित किया गया है। बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने भी बांग्लादेश में अशांति के बीच छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर एकीकृत जांच चौकी पर विशेष सहायता डेस्क भी स्थापित किए हैं।

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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