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अयोध्या में आज टूटी सदियों पुरानी परंपरा, तीर्थ पुरोहित ने किया "बही लेखन" परंपरा का निर्वहन – Utkal Mail

अयोध्या, अमृत विचार: अयोध्या की लगभग 350 वर्ष पुरानी परंपरा “बही लेखन” का अयोध्या के तीर्थ पुरोहितों ने किया निर्वहन। अयोध्या के श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमान गढ़ी द्वारा शुरू कराया गया। वहीं लेखन तीर्थ पुरोहितों की अत्यंत प्राचीन परंपरा रही है।

अयोध्या पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी से निकली शोभायात्रा हनुमान जी के प्रतीक निशान के रूप में मां सरयू के तट पर पहुंची जहां पर अयोध्या के गंगापुत्रान, घाट मालिकान,  सरयू तीर्थ पुरोहित समिति के पदाधिकारियों ने शोभा यात्रा का स्वागत किया एवं समस्त तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी की सदियों पुरानी परंपरा जिसमें हनुमानगढ़ी के तीर्थ पुरोहित सुरेंद्र प्रसाद पांडे, दीपेंद्र नाथ पांडे एवं दिनेंद्र नाथ पांडे पुत्र ने पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी की प्राचीन परंपरा में वर्तमान परंपरा वाहक गद्दीनशीन महंत प्रेम दास, निर्वाणी अनी के श्री महंत मुरली दास ने समस्त पट्टी के महंतों, पंचों, तीर्थ पुरोहितों एवं संतों की उपस्थिति में बही लेखन किया। 

आज भी हनुमानगढ़ी के तीर्थ पुरोहित सुरेंद्र प्रसाद पांडे, दीपेंद्र नाथ पांडे एवं दिनेंद्र नाथ पांडे ने सैकड़ों वर्षों से जो कई पीढ़ियों से चलती आई है उस बही को सुरक्षित और संरक्षित रखने का काम किया है। अयोध्या के तीर्थ पुरोहितों के पास पूरे विश्व के अनेकों विशिष्ट लोगों के कई पीढ़ियों के नाम का पूरा उल्लेख बही के रूप में आज भी सुरक्षित है।

इस अवसर पर अयोध्या के तीर्थ पुरोहित अध्यक्ष देवेंद्र नाथ मिश्रा, महामंत्री नंदकुमार मिश्रा, कृष्ण कुमार मिश्रा, अरुण कुमार दास, श्याम नेत्र मिश्र अरुण कुमार पांडे, महेंद्र प्रसाद पांडे, दुर्गा प्रसाद पांडे, सुधाकर द्विवेदी प्रभाकर द्विवेदी, शिवम् मिश्र आदि उपस्थित रहे।

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