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चिदंबरम ने कहा- अंतरिम बजट में बेरोजगारी समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख नहीं – Utkal Mail

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर ‘अमीरों की, अमीरों द्वारा और अमीरों के लिए सरकार होने’ का आरोप लगाया और कहा कि अंतरिम बजट में बेरोजगारी और कई महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख नहीं किया गया। 

उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठगंधन (संप्रग) की सरकार में औसत विकास दर 7.5 फीसदी थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में औसत विकास दर 6 फीसदी से भी कम रही है।

चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले 5-10 वर्षों में भारत कैसे आगे बढ़ा है, विगत तीन दिनों के दौरान इस बारे में सरकार की ओर से बड़े बड़े दावे किए गए। माननीय राष्ट्रपति के संबोधन से पहले वित्त मंत्रालय ने 63 पृष्ठों का लघु आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया और आज माननीय वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट पर भाषण दिया। इस प्रकार, वही आंकड़े तीन दिनों में तीन बार सामने आए हैं। प्रत्येक आंकड़े को अर्थशास्त्रियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा चुनौती दी गई है।’’

 उन्होंने कहा, ‘‘वित्त मंत्री ने युवाओं के बारे में बात की। उन्होंने बेरोजगारी पर कोई बात नहीं की। ‘पीएलएफएस’ (जुलाई 2022-जून 2023) और ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट, 2023’ के अनुसार, 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत (ग्रामीण 8.3, शहरी 13.8) है। 25 वर्ष से कम आयु के स्नातकों में बेरोजगारी दर 42.3 प्रतिशत है। यहां तक ​​कि जब स्नातक युवा 30-34 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं, तब भी बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत होती है।’’ 

चिदंबरम ने दावा किया कि वित्त मंत्री ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की बात को स्वीकार नहीं किया और इस पर एक शब्द भी नहीं कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में जानबूझकर उपेक्षा करके सरकार ने जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी कहानी को खत्म कर दिया है और लाखों युवाओं और उनके परिवारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। 

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘अस्थायी पुरुष कर्मी महिला श्रमिकों की तुलना में 48 प्रतिशत अधिक कमाते हैं और नियमित पुरुष कर्मचारी महिलाओं की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक कमाते हैं। शहरी महिलाओं के लिए श्रमिक-जनसंख्या अनुपात 21.9 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों के लिए 69.4 प्रतिशत है। शहरी महिलाओं में श्रम बल भागीदारी दर 24.0 प्रतिशत है।’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘ वित्त मंत्री ने किसानों के बारे में बात की। उन्होंने कृषि श्रमिकों सहित किसानों की आत्महत्या की संख्या का खुलासा नहीं किया। 

2020, 2021 और 2022 में क्रमशः 10,600, 10,881 और 11,290 किसानों ने खुदकुशी की।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 10 साल के शासन में ‘खुशहाल किसान’ की बात विरोधाभासी है। चिदंरबम के अनुसार, वित्त मंत्री ने जीडीपी के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने प्रति व्यक्ति आय के बारे में नहीं बात की। 

उन्होंने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की बात की, लेकिन उन्होंने वैश्विक भूख सूचकांक में भारत के रैंक या बच्चों में बड़े पैमाने पर कुपोषण के कारण विकास में बाधा और कमज़ोरी के उच्च अनुपात के बारे में बात नहीं की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2024-25 के बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटन 1.8 प्रतिशत और शिक्षा के लिए कुल व्यय का 2.5 प्रतिशत है। इतने कम खर्च में कोई भी दावा पूरा नहीं किया जा सकता।’’ 

चिदंबरम ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री ने ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ के बारे में बात की, लेकिन वास्तव में ‘न्यूनतम’ सरकारी नीति ने संघवाद को कमजोर कर दिया है, राज्य सरकारों को धन की कमी हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था और शासन के प्रति राजग के दृष्टिकोण में मूलभूत दोष यह है कि यह अमीरों के पक्ष में झुका हुआ है। यह अमीरों की, अमीरों द्वारा और अमीरों के लिए सरकार है। 

सरकार या तो इस तथ्य से अनभिज्ञ है या संवेदनहीन है कि शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत संपत्ति है और वे राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत अर्जित करते हैं और पिछले 10 वर्षों में आय असमानता काफी बढ़ गई है।’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के आखिरी साल 2013-14 में हमने जीडीपी वृद्धि दर 6.4 फीसदी और औसत वृद्धि दर 7.5 फीसदी छोड़ी थी। राजग के कार्यकाल में औसत विकास दर 6 फीसदी से भी कम रही है।’’ 

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