India-Pakistan ceasefire: ट्रंप ने फिर की सरपंच बनने की कोशिश, कहा- भारत व पाकिस्तान को एक साथ डिनर पर जाना चाहिए – Utkal Mail

न्यूयॉर्क/नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण सबंधों के बीच भारत के लगातार इनकार के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जबरन मध्यस्थ बनने और दोनों देशों के विवाद को सुलझाने के लिए सरपंच बनने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में ट्रंप ने सऊदी अरब में एक संबोधन के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम को अपनी सरकार की शांति स्थापना की उपलब्धि करार दिया है।
उन्होंने यहां तक कहा कि भारत और पाकिस्तान को एक साथ डिनर पर जाना चाहिए ताकि तनाव और कम हो सके। दिलचस्प यह है कि भारत ने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान से पीओके और आतंकवाद पर ही सिर्फ बात होगी और इस मसले में किसी की मध्यस्थता उसे स्वीकार नहीं।
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मौजूदगी में रियाद में यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘कुछ ही दिन पहले मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक संघर्ष विराम कराने में सफलता हासिल की। हमने इसमें व्यापार को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। मैंने कहा कि दोस्तों, आओ कुछ ट्रेड करो। न्यूक्लियर मिसाइल्स का नहीं, बल्कि उन चीजों का जो तुम खूबसूरती से बनाते हो। दोनों ही देशों के पास बहुत ताकतवर और समझदार नेता हैं। और यह सब रुक गया। उम्मीद है ऐसा ही बना रहेगा।’
भारत की तीखी प्रतिक्रिया – तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं
फिलहाल भारत सरकार ने ट्रंप के इन बयानों को एक बार फिर सिरे से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पूरी तरह से दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच आपसी बातचीत का परिणाम है। इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।
यह पहली बार नहीं है, जब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा किया है। इससे पहले भी वे कश्मीर मुद्दे पर इसी प्रकार की पेशकश कर चुके हैं, जिसे भारत ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था। अपने संबोधन में ट्रंप ने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो की ओर मुड़कर कहा, ‘मुझे लगता है कि अब भारत-पाकिस्तान वास्तव में साथ में ठीक रह रहे हैं। शायद हम उन्हें थोड़ा और करीब ला सकें। क्यों न उन्हें साथ में डिनर पर भेजा जाए? कितना अच्छा होगा?’