धर्म

हल्द्वानी: विशेष संयोगों से बढ़ गया है इस बार जन्माष्टमी का और भी ज्यादा महत्व – Utkal Mail


हल्द्वानी, अमृत विचार। जन्माष्टमी बुधवार को उपवास चंद्रोदय (अर्धरात्रि) व्यापिनी अष्टमी तिथि में मनाया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार विशेष संयोग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि भगवान विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण का जन्म भाद्रपद, कृष्ण पक्ष अष्टमी की आधी रात में रोहिणी नक्षत्र तथा वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था।

उन्होंने बताया कि सभी शुभ संयोग बुधवार को बन रहे हैं। जिससे जन्माष्टमी का महत्व और बढ़ गया है।  बुधवार को गृहस्थजन व्रत का पालन करते हुए कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। जबकि गुरुवार को सन्यासी समुदाय कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे । वैदिक पंचांग के अनुसार अष्टमी का प्रारंभ बुधवार को 3:37 बजे से हो रहा है। जो गुरूवार को सायंकाल 4:14 बजे तक विद्यमान रहेगी । पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि  11:57 बजे से 12:42 बजे तक रहेगा। 

पूजा विधि
 जल्दी उठकर स्नान करके घर व मंदिर की सफाई करें। उपवास का संकल्प लेकर एक साफ चौकी रखें। चौकी पर पीले रंग का धुला हुआ वस्त्र बिछा लें। सभी स्थापित देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। कृष्ण को रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले पुष्प अर्पित करें। पूरे दिन घी की अखंड ज्योति जलाएं। उन्हें लड्डू और उनके पसंदीदा वस्तुओं का भोग लगाएं।  कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। ऐसे में मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करें, बाल गोपाल को झूले में बिठाएं।  मिश्री, घी, माखन, खीर, पंजीरी इत्यादि का भोग लगाएं। 


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