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पाक मानवाधिकार अधिवक्ता एवं राजनेता को देशद्रोह मामले में पुलिस हिरासत में भेजा, जानिए पूरा मामला – Utkal Mail


इस्लामाबाद। पाकिस्तानी मानवाधिकार अधिवक्ता ईमान मजारी और पूर्व सांसद अली वजीर को सोमवार को यहां एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने देशद्रोह के मामले में तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। ईमान एवं वजीर को इस्लामाबाद पुलिस ने रविवार को सुबह गिरफ्तार किया। ये दोनों मूलनिवासी पश्तूनों के अधिकारों की वकालत करने वाले पश्तून तहफ्फुज आंदोलन (पीटीएम) की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुये थे। इसके बाद इनकी गिरफ्तारी हुयी है। ईमान पूर्व मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजारी की बेटी हैं। ईमान ने इस्लामाबाद में पीटीएम की एक रैली को संबोधित किया। 

यह संगठन जातीय पश्तो-भाषी कार्यकर्ताओं का एक समूह है जो पाकिस्तानी सेना की और शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान की भी आलोचना करता है। अधिकारी चाहते थे कि ये दोनों वर्तमान में जारी जांच में शामिल हों। आरोप है कि दोनों गैरकानूनी सभा, प्रतिरोध और “राज्य मामलों में हस्तक्षेप” में शामिल थे। जैसे ही मजारी और वज़ीर को इस्लामाबाद आतंकवाद विरोधी अदालत के सामने पेश किया गया, न्यायाधीश ने अधिकारियों को आरोपियों को 24 अगस्त को फिर से पेश करने का आदेश दिया। रविवार को दोनों को न्यायिक दंडाधिकारी इहतशाम आलम खान की अदालत में पेश किया गया। 

अदालत के विस्तृत आदेश के अनुसार, जांच अधिकारी ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए), 1997 के तहत दर्ज देशद्रोह मामले में 10 दिन की हिरासत का अनुरोध किया। न्यायाधीश ने एक दिन की हिरासत मंजूर की थी और पुलिस को दोनों को सोमवार को आतंकवाद निरोधक अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद, दोनों को पुलिस ने दिन में एटीसी जज अबुल हसनात जुल्करनैन की अदालत में पेश किया। ईमान के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि पुलिस को उसके मुवक्किल की एक दिन की हिरासत पहले ही दी जा चुकी है लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला है। वज़ीर ने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक बैठक के दौरान “कुछ भी गलत नहीं” कहा गया था। 

दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और ईमान तथा वज़ीर को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया । ईमान एवं वज़ीर के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, दोनों को धरना देने, प्रतिरोध करने और राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की एक खबर के अनुसार, प्राथमिकी में कहा गया है कि 700 से 800 लोगों ने धरने में भाग लिया और कई लोग लाठियों और कुछ हथियारों से भी लैस थे क्योंकि उन्होंने अधिकारियों की अवहेलना करने और राजधानी में मार्च करने का प्रयास किया था। 

खबर में दावा किया गया है कि मुख्य राजमार्ग, जीटी रोड को प्रदर्शनकारियों ने अवरुद्ध कर दिया था, जो रैली निकालने के लिए आगे बढ़े थे। इसमें कहा गया है कि जब सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने एक सरकारी वाहन पर हमला किया, अधिकारियों के साथ विवाद किया और यहां तक कि एक अधिकारी से बलपूर्वक दंगा-रोधी किट भी छीन लिया । पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने ईमान की गिरफ्तारी की निंदा की और उसकी तत्काल एवं बिना शर्त रिहाई की मांग की। इसने इस्लामाबाद पुलिस के कृत्य को ‘‘अस्वीकार्य’’ करार दिया। हाल के महीनों में पाकिस्तानी अधिकारियों ने असहमति के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है। इस महीने की शुरुआत में भ्रष्टाचार के एक मामले में अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भी तीन साल की जेल की सजा काट रहे हैं। 

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