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शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जा रहा 'ड्रैगन' आखिर कितना खास? जानिए इसके बारे में सब कुछ – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचारः वो ऐतिहासिक पल आखिरकार आ गया है जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष मिशन पर जाकर देश का नाम रोशन करने वाले हैं। Axiom-4 मिशन के तहत आज, बुधवार को दोपहर 12:01 बजे, शुभांशु को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होगा। इस अंतरिक्ष यान में भारत के साथ-साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। यह लॉन्च फ्लोरिडा के नासा कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से होगा। इस रॉकेट को दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट माना जा रहा है। आइए, जानते हैं कि यह ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कितना खास है।

ड्रैगन कैप्सूल क्या है?

ड्रैगन कैप्सूल दोबारा इस्तेमाल होने वाला एक अंतरिक्ष यान है, जिसे एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने बनाया है। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों और सामान को पृथ्वी से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक सुरक्षित ले जाना और सुरक्षित वापस लाना है। इसकी संरचना कैप्सूल जैसी होने के कारण इसे ड्रैगन कैप्सूल भी कहा जाता है। हाल ही में, इसी कैप्सूल के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके तीन सहयोगी पृथ्वी पर वापस लौटे थे।

ड्रैगन कैप्सूल की खासियत

ड्रैगन कैप्सूल की विशेषता को समझने के लिए इसके प्रदर्शन पर नजर डालना जरूरी है। SpaceX के अनुसार, ड्रैगन ने अब तक 51 मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं और अब यह शुभांशु शुक्ला के साथ अपने 52वें मिशन पर निकलेगा। यह कैप्सूल 46 बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक जा चुका है और 31 बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद दोबारा अंतरिक्ष यात्रा कर चुका है। इसकी पुन: उपयोग की क्षमता इसे बेहद खास बनाती है।

कितने यात्रियों को ले जा सकता है?

SpaceX का ड्रैगन कैप्सूल एक बार में सात अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे ले जाने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह न केवल अंतरिक्ष तक पहुंचता है, बल्कि पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी भी करता है, जिससे इसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

ड्रैगन कैसे काम करता है?

ड्रैगन कैप्सूल की संरचना की बात करें तो इसकी ऊंचाई 8.1 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है। लॉन्च के समय इसका पेलोड वजन 6000 किलोग्राम तक होता है, जबकि वापसी के दौरान यह 3000 किलोग्राम रह जाता है। इस कैप्सूल में ड्रेको थ्रस्टर्स लगे हैं, जो अंतरिक्ष में कक्षा के दौरान दिशा बदलने में मदद करते हैं। साथ ही, इसमें 8 सुपरड्रेको थ्रस्टर्स भी हैं, जो लॉन्च एस्केप सिस्टम को शक्ति प्रदान करते हैं।
यह कैप्सूल न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रा को और अधिक सुरक्षित और किफायती बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह भी पढ़ेः Axiom-4 Mission: लॉन्च के लिए तैयार एक्सिओम-4, स्पेस स्टेशन के लिए आज उड़ान भरेंगे शुभांशु शुक्ला 


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