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अमेरिकी रोजगार और महंगाई आंकड़े पर रहेगी बाजार की नजर  – Utkal Mail

मुंबई। विश्व बाजार की गिरावट के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई ज़बरदस्त मुनाफावसूली से बीते सप्ताह करीब डेढ़ प्रतिशत तक लुढ़के घरेलू शेयर बाजार की अगले सप्ताह अमेरिका में सितंबर में ब्याज दर में होने वाली कटौती के निर्धारक रोजगार और महंगाई के आंकड़ों पर नजर रहेगी।

बीते सप्ताह शेयरों के ऊंचे भाव पर हुई मुनाफावसूली से बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1181.84 अंक अर्थात 1.43 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिवस पर दो सप्ताह के निचले स्तर और 82 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 81183.93 अंक रह गया।

साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 383.75 अंक यानी 1.52 प्रतिशत की गिरावट लेकर सप्ताहांत पर 25 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 24852.15 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों पर भी मुनाफावसूली का दबाव रहा।

इससे मिडकैप 560.52 अंक अर्थात 1.14 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 48506.84 अंक और स्मॉलकैप 43.69 अंक यानी 0.08 प्रतिशत फिसलकर 55977.86 अंक पर बंद हुआ। विश्लेषकों के अनुसार, पूंजी बाजार नियामक सेबी की विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के डिक्लोजर नियमों की समय सीमा ने निवेशकों के बीच घबराहट पैदा कर दी, जिससे घरेलू बाजार में तेज बिकवाली हुई।

इससे एफआईआई के भारत पर दीर्घकालिक रुख पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। फिर भी, नए बाजार उत्प्रेरकों की कमी और उच्च मूल्यांकन के कारण, अल्पावधि में यह सुस्त प्रवृत्ति बनी रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में नरमी आई है और कॉर्पोरेट आय में भी इसी तरह के रुझान देखे जा रहे हैं।

इसके अलावा अगस्त के भारतीय पीएमआई आंकड़े जुलाई के मुकाबले थोड़े कम रहे, जिससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में सतर्कता बनी हुई है। कमजोर मासिक बिक्री ने ऑटो समूह को प्रभावित किया। प्रीमियम मूल्यांकन के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन कमजोर रहा जबकि कमोडिटी की कीमतों में गिरावट से धातु समूह के शेयरों में गिरावट आई।

वैश्विक स्तर पर संकेत मिश्रित रहे जबकि सितंबर में बहुप्रतीक्षित फेड दर कटौती पहले से ही मूल्यांकित हो चुकी है। हालांकि, कमजोर अमेरिकी विनिर्माण आंकड़ों से संभावित मंदी के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। इसके अलावा तेल की कीमतें लगातार गिरावट से 14 महीने के निचले स्तर पर आ गई है और कमजोर रोजगार के आंकड़े भी चिंताओं को बढ़ा रहे हैं। अगले सप्ताह अमेरिकी गैर-कृषि रोज़गार और महंगाई के आंकड़ों पर बाज़ार की कड़ी नजर रहेगी।

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