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बरेली: 10 साल तक की कन्याओं का ही करें पूजन, जानिए क्या देने चाहिए उपहार? – Utkal Mail


बरेली, अमृत विचार। नवरात्र पर इस बार दुर्गाष्टमी 22 और नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवरात्र में कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा का कहना है कि देवी भागवत पुराण के अनुसार दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्याओं को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसके पूजन में अलग फलों की प्राप्ति बताई गई है। इसके अनुसार पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

10 वर्ष तक की कन्याएं पूज्यनीय
कन्या पूजन के लिए 10 वर्ष तक कि कन्याएं पूज्यनीय हैं। एक वर्ष अथवा उससे छोटी कन्या का पूजन उचित नहीं माना गया है। देवी भागवत पुराण के अनुसार 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की कन्याओं को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इनके पूजन से अलग-अलग फलों की प्राप्ति बताई गई है।

कुमारी- 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहते हैं, जिनका पूजन करने से दरिद्रता दूर होती है।
त्रिमूर्ति- 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति कहलाती है, इनका पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कल्याणी- 4 वर्ष की कन्या कल्याणी कहलाती है, जिनका पूजन करने से बुद्धि, विद्या, सुख की प्राप्ति होती है।
रोहिणी- 5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है, जिनका पूजन करने से बीमारी दूर होती है।
कालिका- 6 वर्ष की कन्या कालिका कहलाती है, इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।
चण्डिका- 7 वर्ष की कन्या चण्डिका कहलाती है, जिनके पूजन से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
शाम्भवी- 8 वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है, इनके पूजन से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।
दुर्गा- 9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है, इनके पूजन से पूर्ण शुभफलों की प्राप्ति बताई गई है।
सुभद्रा- 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है, जिनके पूजन से सौभाग्य प्राप्ति के साथ सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

कन्या पूजन के लिए जरूरी
नवरात्र में शक्ति साधना, पूजन, अनुष्ठान आदि कन्या पूजन बिना अधूरे रहते हैं। कन्या साक्षात मां जगदंबा का रूप मानी जाती हैं। मान्यता है कि जिस घर में त्योहार, शुभ मांगलिक कार्य में देव पूजन के साथ कन्या पूजन भी होता है, वहां कभी भी दु:ख, दरिद्रता नहीं आ सकती।

नवरात्र में कन्या पूजन का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवराज इंद्र ने ब्रह्मा जी से भगवती देवी को प्रसन्न करने का उपाय पूछा तो ब्रह्मा जी ने देवी को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय कुमारी पूजन बताया। इसलिए नवरात्र में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका पूजन किया जाता है।

इस तरह करें कन्या पूजन
एक चौकी पर आसन बिछाकर गणेश, बटुक तथा कन्याओं को एक पंक्ति में बैठाकर श्री गणेश का पांचोपचार पूजन करें, बटुकाये नम: से बटुक जी तथा कुमारीकायें नम: से कन्याओं का पूजन करें। इसके बाद हाथ में पुष्प लेकर कन्याओं की प्रार्थना करें।

जानिए नवरात्र में कन्या भोज कब खिलाना चाहिए 
यूं तो नवरात्र में हर दिन कन्याओं को भोजन करने का विधान है। लेकिन, अगर आप सभी दिन कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं तो षष्ठी से लेकर नवमी तक भी कन्या पूजन कर सकते हैं। यदि यह भी संभव न हो तो अष्टमी और नवमी को कन्याओं को भोजन करना चाहिए। 

कन्या को ये देना माना जाता है शुभ
केला और नारियल को सबसे शुभ फल माना गया है। प्रसाद स्वरूप कन्याओं को किसी एक तरह की मिठाई जरूर खिलानी चाहिए। इसके लिए आप सूजी का हलवा, आटे का हलवा माता रानी को भोग लगाने के बाद दे सकते हैं। नवरात्र में कन्याओं की विदाई करते समय उन्हें उपहार में श्रृंगार सामग्री देनी चाहिए।

नवरात्र में कितनी कन्याओं को खिलाना होता है अच्छा
कन्या पूजन में नौ कन्याओं का होना अत्यंत शुभ माना गया है। पर सात व नौ से अधिक भी कन्याओं को आप खिला सकते हैं।

कन्या भोजन में इन चिजों को खिलाना माना जाता है शुभ
कन्या भोजन में बच्चियों का हलवा-पूड़ी चने आदि खिलाया जाता है और माता रानी को भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि पर कन्याएं ना मिलने पर ये करें 
अगर कन्या पूजन के दौरान कोई कन्या कम रह जाती है, तो उसकी पूरी थाली हलवा, पूरी, चने का प्रसाद और उपहार पैसे आदि बाहर किसी मंदिर में दे आएं या फिर कहीं बाहर जाकर किसी कन्या को पकड़ा दें। अगर ये भी न हो पाए तो आप गौ माता को भी प्रसाद देकर इसका पुण्य पा सकते हैं।

भोज के बाद कन्याओं को ये देने चाहिए उपहार
नवरात्रि में कन्या भोज के बाद सारी कन्याओं को उपहार में श्रृंगार की सामग्री देनी चाहिए। सबसे पहले श्रृंगार की सामग्री को देवी मां को चढ़ा देना चाहिए। उसके बाद उन श्रृंगार की सामग्री को कन्याओं में बांट देना चाहिए। माना जाता है कि कन्याओं की ग्रहण की गई श्रृंगार की सामग्री सीधे देवी मां स्वीकार कर लेती हैं। हिंदू मान्याता के अनुसार नवरात्रों में कन्या भोज करवाने के बाद कन्याओं को उपहार में लाल वस्त्र देना बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन अगर आपका बजट हर कन्या का लाल वस्त्र देने का नहीं है तो आप सभी कन्याओं को उपहार में लाल रंग की चुनरी दे सकते हैं। 

23 को रवि योग में विदाई
यह भी संयोग है कि 15 अक्टूबर को नवरात्र का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र, बुधादित्य और वैधृति योग में हुआ। जो उत्तम व शुभ रही। यह संयोग इस बार 30 साल बाद बना। समापन पर 23 को रवि योग है। इससे भी इस दिवस की शुभता बढ़ेगी। 23 अक्टूबर को सोमवार के दिन माता की विदाई होना शुभता का संकेत है। -पं. राजीव शर्मा, बालाजी ज्योतिष संस्थान

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