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अजित पवार ने विद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाने के विरोध की निंदा, कहा: विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, मराठी सर्वोच्च प्राथमिकता ही रहेगी  – Utkal Mail

पुणे। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पहली और पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध करने पर राजनीतिक दलों की आलोचना की है। पवार ने कहा कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वे ‘‘वास्तविक मुद्दे न होने के कारण अनावश्यक विवाद’’ खड़ा कर रहे हैं। 

पवार ने शुक्रवार को पिंपरी चिंचवड में चापेकर बंधुओं को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक के उद्घाटन के मौके पर कहा, ‘‘मराठी हमारी मातृभाषा है और राज्य में हमेशा इसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी।’’ उन्होंने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग हिंदी भाषा को लेकर विवाद इसलिए पैदा कर रहे हैं क्योंकि उनके पास और कुछ करने को नहीं है। पूरे देश में अंग्रेजी का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है और इसी तरह कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है। हालांकि इस बात पर विवाद है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है या नहीं, मैं उसमें नहीं पड़ना चाहता।’’

महाराष्ट्र सरकार ने दो भाषाओं का अध्ययन कराने की परंपरा से हटकर राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ना अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए। 

ठाकरे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मनसे इस निर्णय को बर्दाश्त नहीं करेगी। हम केंद्र सरकार के हर चीज को ‘हिंदीकृत’ करने के प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे।’’ विपक्षी कांग्रेस ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसका यह निर्णय हिंदी थोपने जैसा है। पवार ने जोर देकर कहा कि मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन मराठी राज्य में हमेशा प्रमुख रखेगी। 

पवार ने मराठी भाषा को बढ़ावा देने में केंद्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। यह निर्णय वर्षों से लंबित था। राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने इसे लागू करने का साहस दिखाया।’’ उन्होंने कहा कि भाषा को और बढ़ावा देने के लिए मुंबई में मराठी भाषा भवन स्थापित करने की योजना पर काम जारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन में पहली से पांचवीं कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले को लागू किया गया है। राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा के लिए एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार तैयार किए गए नए पाठ्यक्रम के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना की घोषणा की है। 

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