धर्म

लखनऊ का ऐसा शिव मंदिर जहां त्रेतायुग से सोमवार नहीं बल्कि बुधवार के दिन होती है शिवलिंग की पूजा    – Utkal Mail

काकोरी, अमृत विचार। सावन के दूसरे सोमवार पर शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हर-हर, बम-बम के उद्घोषों से शिव पीठों पर जलाभिषेक का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया जो देर रात तक चलता रहा। मंदिरों में अनुष्ठान जारी रहे। फूलों से शिवलिंगों का श्रृंगार हुआ। मनकामेश्चर, कोनेश्चर, बड़ा शिवाला, सिद्धनाथ, महाकाल, बुद्धेश्वर समेत नगर की प्रतिष्ठित शिव पीठों पर दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक चलता रहा। मंदिर परिसर में पार्थिव पूजन अनुष्ठान लगातार जारी रहे। भक्त शिवभक्ति में लीन रहे। बाबा भोलेनाथ को गंगाजल, दूध, शहद, धतूरा, बेलपत्र, मिश्री,अक्षत,घी और पुष्प अर्पित किए गए। पुलिस प्रशासन ने भी आज भी मंदिर परिसर में डेरा डाले रखा

बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब साथ ही बम-बम भोले, हर-हर महादेव, ऊॅ नमः शिवाय के जयकारों से मन्दिर परिसर गूज उठा। शिव भक्तों ने बेलपत्र, भाॅग, धतूरा, कमलपुष्प, दूध, दही, शहद गंगाजल, आदि से जलाभिषेक कर बुद्धेश्वर महादेव के दर्शन किये। मंदिर के महन्त लीलापुरी ने बताया किभोर 4:30 बजे और शाम 7:30 बजे आरती में भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे। 

मेले में लगी दुकाने 

मेले में कॉस्मेस्टिक, बर्तन, खिलौना,चूड़ी, मिष्ठान, लकड़ी के फर्नीचर और घर गृहस्थी के सामान की लगभग 260 दुकानें लगी हैं। मनोरंजन के लिए कुछ छोटे,बड़े झूलों लगे हैं। मंदिर पास लगे मेले में चकला, बेलन, कढाई, डलिया, आम की खटायी, अम्बार, सूप, बेना, वहीं गैस के लिए बालमखीरे का चूर्ण खरीदा। चूड़ियों के ठेले पर महिलाओं की भीड़ जमी रही। दर्शन और पूजन के बाद बड़ी संख्या में भक्तों में मंदिर परिसर में लगे मेले में खरीदारी की। माना जाता है कि बुधवार को बुद्धेश्वर महादेव के दर्शन और पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। 

बड़े शिवलिंग पर जलाभिषेक, 108 शिवलिंग पर एक साथ अर्पित होता है जल

बड़ा शिवाला में आज सुबह से मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां सबसे बड़ा शिवलिंग है। इसी शिवलिंग से जुडे़ 108 शिवलिंग है। जब भक्त बड़े शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं तो यह जल सभी शिवलिंगों पर अर्पित होते हुए आगे कुंड तक पहुंचता है। महंत योगीदेव भोलानाथ बताते हैं कि रानी कटरा का यह शिवलिंग अद्भुत है। यहां पर जलाभिषेक करने पर 108 शिवलिंगों पर जल का अर्पण हो जाता है। यह प्राचीन काल की शिवपीठों में से एक है। अनूठा स्वयंभू शिवलिंग है।

 

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