Nagpanchami 2023 : नागपंचमी पूजन में इन नागों के नाम का करें स्मरण, जानें शुभ मुहूर्त और खास पूजन विधि – Utkal Mail
जगमोहन मिश्र / सीतापुर, अमृत विचार। 21 अगस्त यानि सोमवार को नागपंचमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। सावन का सोमवार होने से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। लोग नागदेवता को दूध और लावा चढ़ाकर पूजा करेंगे। इसके अलावा अखाड़ों में कुश्ती और दंगल के भी आयोजन ग्रामीण इलाकों में किए जाएंगे। तीर्थ नैमिषारण्य में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जिसे लेकर एक दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई। नैमिष में नागपंचमी का मेला होरिया टिल्ल के पास दसकों से लगता है। जिसमें आसपास के गांवों से बहन बेटियां सज धज कर नागपंचमी त्योहार मनाने आती। इस मेले में आल्हा गायन, जादूगरी जैसे विविध आयोजन होते हैं।
धान की रोपाई के बाद नाग पंचमी का त्योहार मनाने की पंरपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा से लोगों को सर्प दंश का भय नहीं रहता। वहीं पर्व की खुशी में घर परिवार में भी विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। इस अवसर पर अखाड़ों में दो-दो हाथ करने के लिए युवाओं का उत्साह देखते ही बनता है। बच्चे, बूढ़े व जवान सभी दम आजमाने की अपनी इच्छा को पूरा करने का प्रयास करते हैं। खासकर युवाओं का उत्साह इस दिन परवान पर रहता है। इसमें बुजुर्ग हो चुके पहलवानों की सहभागिता युवाओं में जोश भरने का काम करती है। हालांकि आधुनिक युग में प्राचीन परंपरा का दिन प्रतिदिन लोप होने से त्योहार की रोचकता में कमी आई है। बावजूद इसके अभी भी गांवों के बुजुर्ग इस परंपरा को जीवंत करने में जुटे हुए हैं।
नागपंचमी पर्व की पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जनमेजय ने पिता की मृत्यु से कुपित होकर सर्प यज्ञ किया था। उस यज्ञ में हजारों नाग भस्म हो गए थे। और अकेले तक्षक नाग ही बचा था। तब वह अपने प्राण रक्षा के लिए इंद्र के सिंघासन के पावे लिपट गया और प्राण रक्षा की याचना करने लगा। तब नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने जनमेजय के क्रोध को शांत कराया और श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन यज्ञ रोक दिया और नागों की रक्षा की। जिसके चलते तक्षक नाग बच गया।साथ ही नागों का वंश बच गया। मान्यता है आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। तभी से नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
इन नागों का स्मरण कर करें पूजा
नागपंचमी के दिन अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नाग की प्रमुख रूप से पूजा की जाती हैं। इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की 8 आकृतियां बनाने की परंपरा है। हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर सर्प देवता की पूजा करें। कच्छे दूध में घी और शक्कर मिलाकर नाग देव का स्मरण कर उन्हें अर्पित करें ऐसा करने से सर्प भय नहीं रहता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
नैमिष तीर्थ के पंडित विजय पांडेय बताते हैं कि इस वर्ष नाग पंचमी पर शुभ संयोग बन रहा है। सोमवार को पड़ने से इसका महत्व और बढ जाता है। 21 अगस्त को सुबह से लेकर रात नौ बजकर 4 मिनट तक शुभ योग होगा। जिसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा। नाग पंचमी के दिन सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त होगा। पंडित अजय द्विवेदी बताते हैं नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विषेश रूप से पूजा की जाती है। सर्पों से अपने व परिवार की रक्षा के लिए नाग देवता की पूजा करने से कुंडली में कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
ऐसे करें पूजा
पंडित विजय पांडेय बताते हैं कि नागपंचमी भगवान शिव के प्रिय नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। सुबह स्नान करने के बाद घर के दरवाजे के दोनों ओर नाग की आठ आकृतियां बनाकर हल्दी, रोली,चावल घी,कच्चा दूध, फूल, एवं जल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करे। इस दिन एक दिन पूर्व बनाए गए भोजन का भोग लगाने का भी विधान है। इसके अलावा शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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