भारत

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर JPC का गठन, लोकसभा से 21 सदस्य नामित…इसमें 10 राज्यसभा सांसद भी होंगे – Utkal Mail

नई दिल्ली। लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार करने के लिए संसद की संयुक्त समिति के गठन की खातिर सदन के 21 सदस्यों को नामित करने और राज्यसभा से 10 सदस्यों को नामित करने की अनुशंसा संबंधी प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दी।

इस संयुक्त समिति में लोकसभा से जिन 21 सदस्यों को शामिल किया गया है उनमें भारतीय जनता पार्टी के आठ औेर कांग्रेस के तीन सांसद शामिल हैं। संसदीय कार्य और अल्पंसख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में यह प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।

समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इस समिति में भाजपा से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जयसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय और डीके अरुणा को शामिल किया गया है, जबकि कांग्रेस से गौरव गोगाई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद को इस समिति का हिस्सा बनाया गया है।

समाजवादी पार्टी के सदस्य मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए. राजा, तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के लावू श्रीकृष्णा, जनता दल (यूनाइेड) के दिलेश्वर कामत, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ महत्रे, शिवसेना के नरेश गणपत म्हास्के, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण भारती और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी भी इस समिति में शामिल हैं।

लोकसभा ने राज्यसभा से अनुशंसा की है कि वह इस संयुक्त समिति के लिए 10 सदस्य का चयन कर निचले सदन को सूचित करे। सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला हुआ था।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था, ‘‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’’

विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) और शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया था, हालांकि, तेदेपा ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की थी। विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए रीजीजू ने कहा था कि विधेयक में किसी की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।

ये भी पढ़ें- राज्यसभा में जया बच्चन ने सभापति के लहजे पर जताई आपत्ति, सदन में हुआ हंगामा


utkalmailtv

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button