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तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण पर रोक संबंधी नयी याचिका पर सुनवाई करेगा अमेरिकी उच्चतम न्यायालय  – Utkal Mail

न्यूयॉर्क। अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की उस नयी याचिका पर अगले महीने सुनवाई करेंगे जिसमें उसने उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया पर रोक का अनुरोध किया है। नई याचिका ‘चीफ जस्टिस’ जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष दायर की गई है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा (64) लॉस एंजिलिस के ‘मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर’ में बंद हैं। वह 26 नवंबर 2008 को मुंबई में किए गए हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रह चुका है। 

राणा ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के ‘एसोसिएट जस्टिस’ और ‘नाइन्थ सर्किट’ के ‘सर्किट जस्टिस’ एलेना कागन के समक्ष ‘‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपात आवेदन’’ प्रस्तुत किया था। इस महीने की शुरुआत में कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद राणा ने पहले न्यायमूर्ति कागन के समक्ष पेश ‘‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने संबंधी अपनी आपात अर्जी’’ नवीनीकृत की और इसे ‘चीफ जस्टिस’ रॉबर्ट्स के समक्ष पेश किए जाने का अनुरोध किया। उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आदेश में कहा गया है कि राणा के नवीनीकृत आवेदन पर सुनवाई के लिए चार अप्रैल 2025 की तारीख तय की गई है और ‘‘आवेदन’’ को ‘‘न्यायालय को भेजा गया है।’’ 

न्यूयॉर्क के प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बताया कि राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में आवेदन दिया था। इस आवेदन को न्यायमूर्ति कागन ने छह मार्च को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह आवेदन अब ‘चीफ जस्टिस’ रॉबर्ट्स के समक्ष है, ‘‘जिन्होंने इसे न्यायालय के साथ साझा किया है ताकि पूरे न्यायालय के दृष्टिकोण का उपयोग किया जा सके।

बत्रा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि ‘‘चीफ जस्टिस रॉबर्ट्स, राणा को अमेरिका में रहने और भारत में न्याय का सामना करने से बचने के अधिकार से वंचित करने का फैसला सुनाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी की ओवल में मुलाकात के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा।’’ 

अपनी आपात अर्जी में राणा ने मुकदमा लंबित रहने तक भारत के समक्ष आत्मसमर्पण और अपने प्रत्यर्पण पर 13 फरवरी की याचिका के गुण-दोष के आधार पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाना अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध ‘संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ का उल्लंघन है, ‘‘ क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता को यातना दिए जाने का खतरा होगा।

याचिका में कहा गया, ‘‘इस मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का एक मुस्लिम है।’’ याचिका में यह भी कहा गया है कि उसकी “गंभीर चिकित्सा स्थिति” के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में “वास्तव में” मौत की सजा है। 

ये भी पढे़ं: न्यायाधीश का आदेश, अदालत का फैसला आने तक भारतीय छात्र को निर्वासित नहीं कर सकती अमेरिकी सरकार 


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