कासगंज: पुराणों में बताई गई है माघ मास की विशेष मान्यता, स्नान, दान और पुण्य का होता है महत्व – Utkal Mail
दीपक मिश्र/मोहनपुरा, अमृत विचार। हिंदू धर्म में माघ मास का अपना विशेष महत्व बताया जाता है। पौष मास में हाड़ कंपाने वाली सर्दी के बाद आने वाला यह महीना जाड़े के ढलान का संकेत देता है जिसमें वसंत ऋतु का आगमन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। हिंदू पंचांग का यह ग्यारहवां महीना है जिसमे ढेर सारे पर्व आते हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार माघ मास का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। प्राचीन समय में इसे माध का महीना कहा जाता था जिसका अर्थ भगवान श्री कृष्ण के माधव स्वरूप से है। इसलिए इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में कई धार्मिक पर्व भी आते हैं और साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। इसी मास में पवित्र संगम पर कल्पवास भी किया जाता है।
इस मास में भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इसके साथ ही पवित्र नदी स्नान एवं दान के अत्यंत शुभ माना जाता है। इसीलिए लोग पवित्र गंगा स्नान करने के लिए नदी किनारे डेरा जमाना प्रारंभ कर देते हैं। इस महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार, ईश्वर का भजन एवं कीर्तन करना चाहिए।
दान के लिए कुछ नियम भी बताए जाते हैं।
- दान सदैव यथाशक्ति अनुसार करें एवं किसी के दबाव में आकर नहीं करना चाहिए।
- हमेशा ऐसे व्यक्ति को दान देना चाहिए जिसे वास्तविक रूप में जरूरत हो, जिससे दान की गई वस्तु का पूर्ण उपभोग हो सके।
- दान में दी जाने वाली सभी वस्तुएं यथासंभव उत्तम गुणवत्ता की हों।
- दान में कभी भी मांसाहारी वस्तुएं, मदिरा अथवा नुकीली वस्तुएं कदापि न हों।
- दान देते समय मन संयमित हो एवं ऐसा भाव हो कि यह वस्तु ईश्वर की दी हुई है और उसी को समर्पित कर रहे हैं।
- इस बात का विशेष ध्यान रहे कि दान के समय मन में किसी व्यक्ति के लिए किसी प्रकार का द्वेष न हो।
सूर्योदय से पूर्व स्नान के पीछे है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवराज इन्द्र द्वारा रचित कुटिल संसर्ग के लिए गौतम ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया था। जब इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ तो उन्होंने ऋषि गौतम से क्षमा याचना की। काफी सोच विचार के बाद ऋषि ने याचना स्वीकार कर इंद्र को माघ मास में सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने के लिए कहा। तब देवराज ने पूरे माघ मास पवित्र गंगा नदी में स्नान किया था। जिसके फलस्वरूप उन्हें गौतम ऋषि के श्राप से मुक्ति मिली थी। इसलिए इस माह में माघी पूर्णिमा एवं माघी अमावस्या को गंगा स्नान करना विशेष फलदाई बताया गया है।
आज मनाया जाएगा सकट चौथ व्रत
माघ मास की चतुर्थी तिथि सकट चौथ व्रत नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है। कई जगह इसे संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है जो आज मनाया जाएगा। सकट चौथ का शुभ मुहूर्त 29 जनवरी को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 30 जनवरी सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक है। सनातन धर्म में माघ मास में आने वाली सकट चौथ व्रत का विशेष महत्व है। इसमें भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर माताएं संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैसे तो हर महीने में होता है किंतु माघ मास में आने वाली चतुर्थी की महिमा सबसे अधिक है।
पुराणों में माघ मास को अत्यंत पुण्य फलदाई बताया गया है। इस महीने में प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर भगवान श्री कृष्ण को पीले पुष्प और पंचामृत अर्पित करें। मधुराष्टक का पाठ कर पुण्य लाभ कमाएं। अपनी क्षमता के अनुसार किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं। यदि संभव हो तो यथाशक्ति दान कर सकते हैं। -आचार्य पंडित दिवाकर पचौरी, पुरोहित कांतौर
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