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ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से लगातार दूसरे दिन पांच घंटे की पूछताछ, कल फिर किया तलब  – Utkal Mail

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कारोबारी एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से 2008 के हरियाणा भूमि सौदे से जुड़े कथित धनशोधन मामले में उनसे लगातार दूसरे दिन करीब पांच घंटे पूछताछ की।

एजेंसी ने उन्हें बृहस्पतिवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। वाड्रा ने ईडी की कार्रवाई को ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ करार दिया और दावा किया कि देश के लोग अब ‘‘जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं करते हैं।’’ वह पूर्वाह्न करीब 11 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा भी थीं, जो केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद हैं। रॉबर्ट वाड्रा के ईडी कार्यालय के अंदर जाने से पहले दोनों गले मिले।

प्रियंका गांधी इस दौरान एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित एजेंसी के कार्यालय ‘प्रवर्तन भवन’ के आगंतुक कक्ष में रहीं और दोपहर करीब एक बजकर 10 मिनट पर उनके पति को दोपहर के भोजन अवकाश के लिए घर जाने की अनुमति मिलने पर उनके साथ चली गईं। वाड्रा (56) दोपहर के भोजन के लिए कुछ देर के लिए घर गए और फिर पूछताछ में शामिल हुए। इसके बाद शाम छह बजे के बाद वह ईडी कार्यालय से बाहर निकले। उन्हें बृहस्पतिवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

सूत्रों ने बताया कि दो दिनों में ईडी कार्यालय में बिताए गए करीब 10 घंटों के दौरान वाड्रा से करीब एक दर्जन सवाल पूछे गए। संघीय जांच एजेंसी द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज किया जा रहा है। वाड्रा ने कहा कि उन्होंने हमेशा जांच एजेंसियों के साथ सहयोग किया है और ढेर सारे दस्तावेज पेश किए हैं।

रॉबर्ट वाड्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में दावा किया कि उन्हें गांधी परिवार का हिस्सा होने के कारण जांच एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और यदि वह भारतीय जनता पार्टी में रहते तो मापदंड अलग होता। वाड्रा के खिलाफ यह जांच हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब गुरुग्राम में सेक्टर 83) में एक भूमि सौदे से जुड़ी है।

जांच फरवरी 2008 में हुए एक भूमि सौदे से संबंधित है, जिसमें वाड्रा से जुड़ी एक कंपनी, ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ ने गुरुग्राम के शिकोहपुर में ‘ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज’ नामक कंपनी से 7.5 करोड़ रुपये की कीमत पर 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। वाड्रा इस कंपनी में पहले निदेशक थे। उस समय हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी।

चार साल बाद सितंबर 2012 में कंपनी ने इस 3.53 एकड़ जमीन को रियल्टी कंपनी ‘डीएलएफ’ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। यह भूमि सौदा अक्टूबर 2012 में उस समय विवादों में आ गया था, जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और कुछ संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था। खेमका उस समय हरियाणा के भूमि चकबंदी एवं भूमि अभिलेख महानिदेशक-सह-पंजीयन महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे। 

हरियाणा में उस वक्त विपक्ष में रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मामले को भूमि सौदों में ‘‘भ्रष्टाचार’’ और ‘‘भाई-भतीजावाद’’ का उदाहरण बताया था, जो वाड्रा की कांग्रेस पार्टी के ‘प्रथम परिवार’ (गांधी परिवार) के साथ संबंधों की ओर इशारा करता है। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे की जांच के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी। संघीय जांच एजेंसी ने धनशोधन के दो अलग-अलग मामलों में वाड्रा से कई बार पूछताछ की है। 

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