Parshuram Jayanti 2025: अक्षय तृतीया पर जन्में परशुराम, जानिए उनके जीवन की अमूल्य बातें – Utkal Mail

जौनपुर, अमृत विचार। भगवान परशुराम का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद में हुआ, मगर कर्म व तपोभूमि उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले की सदर तहसील क्षेत्र के आदि गंगा गोमती के पावन तट स्थित जमैथा गांव ही रहा, जहां पर महर्षि यमदग्नि ऋषि का आश्रम आज भी है और उन्हीं के नाम पर जिला यमदग्निपुरम् रहा, बाद में धीरे-धीरे जौनपुर हो गया।
अक्षय तृतीया पर जन्में परशुराम है भगवान विष्णु के छठे अवतार
परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था, इस बार अक्षय तृतीया 29 अप्रैल मंगलवार को पड़ रही है, इसलिये पूरे देश में इसी दिन उनकी जयन्ती मनायी जायेगी। भगवान परशुराम के यदि वंशज को देखा जाय तो महाराज गाधि के एक मात्र पुत्री सत्यवती व पुत्र ऋषि विश्वामित्र थे। स्त्यवती का विवाह ऋचीक ऋषि से हुआ। उनके एक मात्र पुत्र यमदग्नि ऋषि थे। ऋषि यमदग्नि का विवाह रेणुका से हुआ और इनसे परशुराम पैदा हुए। परशुराम का पृथ्वी पर अवतार अक्षय तृतीय के दिन हुआ था। ये भगवान विष्णु के छठे अवतार भी माने जाते थे। परशुराम के गुरू भगवान शिव थे। उन्हीं से इन्हें फरसा मिला था।
राम और लक्ष्मण से जुड़ी है कहानिया
महर्षि यमदग्नि ऋषि जमैथा (जौनपुर) स्थित अपने आश्रम पर तपस्या कर रहे थे, तो आसुरी प्रवृत्ति के राजा कीर्तिवीर (जो आज केरार वीर हैं) उन्हें परेशान करता था। यमदग्नि ऋषि तमसा नदी (आजमगढ़) गये, जहां भृगु ऋषि रहते थे। उनसे सारी बात बताये, तो भृगु ऋषि ने उनसे कहा कि आप अयोध्या जाइयें। वहां पर राजा दशरथ के दो पुत्र राम व लक्ष्मण है। वे आपकी पूरी सहयता करेगें। यमदग्नि अयोध्या गये और राम लक्ष्मण को अपने साथ लाये। राम व लक्ष्मण ने कीर्तिवीर को मारा और गोमती नदी में स्नान किया तभी से इस घाट का नाम राम घाट हो गया।
माता-पिता के ऋण से हुए हैं मुक्त
मान्यताओं के अनुसार यमदग्नि ऋषि बहुत क्रोधी थे। परशुराम पिता भक्त थे। एक दिन उनके पिता ने आदेश दिया कि अपनी मां रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दो। परशुराम ने तत्काल अपने फरसे से मां का सिर काट दिया, तो यमदग्नि बोले क्या वरदान चाहते हो, परशुराम ने कहा कि यदि आप वरदान देना चाहते हैं, तो मेरी मां को जिन्दा कर दीजिये। यमदग्नि ऋषि ने तपस्या के बल पर रेणुका को पुनः जिन्दा कर दिया। जीवित होने के बाद माता रेणुका ने कहा कि परशुराम तूने अपनी मां के दूध का कर्ज उतार दिया। इस प्रकार पूरे विश्व में परशुराम ही एक ऐसे हैं जो मातृ व पित्रृ ऋण से मुक्त हो गये हैं।
शस्त्र व शास्त्र का अद्भुत समन्वय
परशुराम ने तत्कालीन आसुरी प्रवृत्ति वाले क्षत्रियों का ही विनाश किया था। यदि वे सभी क्षत्रियों का विनाश चाहते तो भगवान राम को अपना धनुष न देते, यदि वे धनुष न देते तो रावण का वध न होता। परशुराम में शस्त्र व शास्त्र का अद्भुत समन्वय मिलता है। कुल मिलाकर देखा जाय तो जौनपुर के जमैथा में उनकी माता रेणुका का अखण्डो अब अखड़ो देवी का मन्दिर आज भी मौजूद है जहां लोग पूजा अर्चना करते है।
भगवान परशुराम की तपस्थली पर सुंदरीकरण का कार्य
जमैथा गांव के निवासी एवं जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ विनोद प्रसाद सिंह (बी पी सिंह) ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गांव में स्थित भगवान परशुराम की तपस्थली जहां पर इस समय उनकी माता रेणुका का मंदिर बना हुआ है, इस समय यह आस्था का केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि आप आज से 5-6 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार के सौजन्य से यहां पर कुछ सुंदरीकरण का कार्य कराया गया है, जो भी कार्य बाकी है उसको वह स्वयं अपने जिले की धरोहर समझ कर करायेंगे।
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