नौ दिवसीय दुर्गा सप्तशती अनुष्ठान : जानकी जन्मोत्सव पर फूलों से सज रहा सीता जी का राजमहल – Utkal Mail

अमृत विचार : अयोध्या में माता जानकी के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी की जा रही है। माता सीता की कुलदेवी मंदिर छोटी देवकाली में 9 दिवसीय दुर्गा सप्तशती पाठ प्रारंभ हो गया है। 6 मई को जानकी जन्मोत्सव को लेकर मठ मंदिरों में सुंदर झांकी और दिव्य आयोजन होंगे।
राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के निकट स्थित सीता भवन मंदिर के गर्भगृह में भव्य झांकी सजाई जा रही है। यहां आकर्षक लाइट से सजाया गया है तो वही गर्भगृह को फूलों से सुसज्जित कर जन्मोत्सव को भव्यता के साथ मनाए जाने की तैयारी है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह माता सीता का राजमहल है। जब भगवान श्रीराम विवाह के बाद जनकपुर से माता सीता को अयोध्या लाए थे तो उनकी पहली डोली इसी स्थान पर उतरी थी। इसी स्थान पर मुंह दिखाई का रस्म भी निभाया गया था जहां बगल स्थित कनक भवन को माता कैकई को मुंह दिखाई में मिला था।
माता कौशल्या ने नौलखा हार और माता सुमित्रा ने चूड़ामणि बनाई थी और महाराजा दशरथ ने मुंह दिखाई की रस्म में वरदान दिया था कि सिर्फ श्रीराम का नाम नहीं सीताराम का नाम लिया जाएगा। इस मंदिर के विग्रह में विराजमान मुख्य स्वरूप के रूप में माता सीता है और उनकी बायीं ओर भगवान श्रीराम विराजमान हैं। मंदिर के महंत श्याम बिहारी दास बताते है कि अयोध्या में वैसे तो भगवान श्रीराम जन्मोत्सव के दौरान मंदिर परिसर में अलौकिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से भक्त भी इसमें शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन जानकी जी के जन्मोत्सव पर भी मंदिर में साज सज्जा किया जा रहा है। जन्मोत्सव के दिन माता सीता को नए वस्त्र धारण कराए जाने के साथ श्रृंगार और पूजन कर छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा।
शक्तिपीठ माता छोटी देवकाली मंदिर पर माता जानकी के जन्मोत्सव को लेकर नौ दिवसीय दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है। 4 मई को 24 घंटे अखंड रामायण का पाठ भी किया जाएगा। इसके बाद 5 मई को शाम 7:00 बजे शोभा यात्रा निकाली जाएगी, और 6 मई को फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी जहाँ शाम को 8:00 बजे 1051 बत्ती की आरती होगी। वहीं 10 मई को अनुष्ठान संपन्न होने पर वैदिक आचार्य के द्वारा आहुति भी डाली जाएगी। समिति के महामंत्री राजेंद्र सिंह के मुताबिक आज से दो वैदिक आचार्य के द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ किया गया है जो चार मई को संपन्न होगा।
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