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Akshaya Tritiya 2025: इस अक्षय तृतीया पर मथुरा जाने का प्लान, तो पढ़ लें बांकेबिहारी मंदिर की एडवाइजरी  – Utkal Mail

मथुरा, अमृत विचार। मथुरा में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर्व के मद्देनजर मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है और यातायात के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को सुरक्षा व्यवस्था को लेकर यह जानकारी दी। 

मथुरा के जिलाधिकारी (DM) चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा, ‘सुरक्षा से समझौता किए बिना, भक्तों के खातिर सुगम दर्शन की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।’ 

-नगर निगम के अधिकारियों को निरंतर जलापूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं और गर्मी से राहत के लिए पंखे लगाए गए हैं। 

-मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को एंबुलेंस की उपलब्धता सहित 24 घंटे चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) श्लोक कुमार ने बताया कि क्षेत्र को 3 जोन और 9 सेक्टर में बांटकर पर्याप्त पुलिस व्यवस्था की गयी है त्योहार के दौरान वाहनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत यातायात योजना तैयार की गई है। 

बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने कहा, ‘‘भक्त सुबह बिहारी जी महाराज के चरण कमलों में पूजा करते हैं और शाम को सर्वांग दर्शन करते हैं, जो साल में एक बार मिलने वाला एक दुर्लभ अवसर है।’’ उन्होंने कहा, ‘इस दिन बांके बिहारी महाराज पीतांबरी (पीले रंग की पोशाक) और पायल पहनते हैं, यह परंपरा स्वामी हरिदास द्वारा शुरू की गई थी।’ 

वृंदावन के राधा रमन मंदिर में यह दिन एक परंपरा की शुरुआत का प्रतीक है, जहां देवता को प्रतिदिन एक नया पुष्प निवास दिया जाता है। मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र गोस्वामी ने कहा कि धोती, बगलबंदी, मुकुट और बांसुरी सहित देवता की पोशाक चंदन से बनी होगी और ‘भोग’ में खरबूजा और ककड़ी जैसे ठंडे फल शामिल होंगे। इस आयोजन के लिए चंदन के लेप की तैयारी पंद्रह दिन पहले शुरू हुई थी। 

भागवताचार्य केशव आचार्य ने अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए कहा, ‘हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। यह त्याग का दिन है और इस दिन मिलने वाला आशीर्वाद निरंतर बढ़ता जाता है।’ दानघाटी मंदिर के पुजारी पवन कौशिक ने इस अनुष्ठान के महत्व पर जोर दिया और साथ ही ‘मंगला आरती’ के दौरान पूजा करने की शुभ प्रकृति का भी उल्लेख किया। वृंदावन के सभी सात प्राचीन कृष्ण मंदिरों में इसी तरह के अनुष्ठान किए जाएंगे। 

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