भारत

HC के एक फैसले से भड़के कुकी, क्यों मैतेई हुए नाराज; क्या है मणिपुर के जलने की असली वजह

मणिपुर
जुलाई खत्म होने को है, लेकिन मई में शुरू हुई मणिपुर की आग पूरी तरह शांत होती नजर नहीं आ रही है। इसकी गूंज करीब इंफाल की घाटी से करीब ढाई हजार किमी दूर राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में भी सुनाई दे रही है। पूर्वोत्तर के इस राज्य की आग की मुख्य वजह मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी संघर्ष को माना जा रहा है, लेकिन इस संघर्ष का कारण क्या है? समझतें हैं।

क्यों जल रहा है मणिपुर?
बताया जा रहा है कि मणिपुर में उपद्रव की तीन वजहें हो सकती हैं। पहला, म्यांमार में 2021 में हुआ तख्तापलट, जिसके बाद वहां के लोग मणिपुर में आ गए और जंगलों में नए गांव बन गए। दूसरा, बगैर कैबिनेट की मंजूरी के राज्य सरकार की ओर से राजस्व गांव का ऐलान कर देना। तीसरा, हाईकोर्ट का एक फैसला, जिसमें मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात कही गई।

क्यों नाराज हुए कुकी और मैतेई?
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजस्व गांवों के ऐलान ने मैतेई को नाराज किया। वहीं, मैतेई को एसटी दर्जा दिए जाने की बात पर कुकी भड़क गए। सूत्र ने बताया, ‘मणिपुर में भूमि आवंटन एक संवेदनील मुद्दा रहा है। क्योंकि पहाड़ी इलाा 90 फीसदी है, लेकिन यहां आबादी 42 फीसदी है। जबकि, घाटी का इलाका 10 प्रतिशत है, लेकिन यहां की आबादी 60 फीसदी है…। मैतेई हमेशा इस डर में जीते थे कि बार के लोग घाटी में आ जाएंगे।’

दूसरी तरफ कुकी उच्च न्यायालय के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते नजर आ रहे हैं। अप्रैल के मध्य में आए फैसले में राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को 19 मई तक एसटी लिस्ट में शामिल करने के लिए कहा था। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला केंद्र और राज्य से चर्चा करे बगैर आ गया था। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले की अलोचना की थी। हिंसा भड़कने के बाद हाईकोर्ट ने फैसले पर एक साल तक के लिए रोक लगा दी।

म्यांमार कैसे हो सकता है तनाव की वजह
इंडिया-म्यांमार फ्री मूवमेंट रिजीम के तहत साल 1968 से ही दोनों पक्ष एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक अंदर आ सकते थे और 72 घंटों तक रह सकते थे। अब कहा जा रहा है कि तख्तापलट के बाद नशे का कारोबार क्षेत्र में बढ़ गया है, जो हिंसा की वजह हो सकता है।

 

utkalmailtv

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button