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अंतरिक्ष से सुरक्षित लौटकर दोबारा उड़ान भर सकेगा त्रिशूल रॉकेट, स्टार्ट अप में छात्रों ने बनाया उपग्रह भेजने वाला पहला रॉकेट   – Utkal Mail


कानपुर, अमृत विचारः कानपुर स्थित निजी इंजीनियरिंग संस्थान पीएसआईटी के छात्रों ने अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने के इस्तेमाल में लाया जाने वाला एक ऐसा रॉकेट ‘त्रिशूल’ तैयार किया है, जिसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। त्रिशूल अपना काम पूरा करने के बाद वापस धरती पर लौट आएगा और इसे फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार किया जा सकेगा। इसरो के वैज्ञानिकों की देखरेख में रॉकेट त्रिशूल अक्टूबर माह में कुशीनगर से उड़ान भरेगा। इस रॉकेट को अंतरिक्ष में सेटेलाइट या पेलोड भेजने के लिए तैयार किया गया है। त्रिशूल रॉकेट को दोबारा इस्तेमाल करने योग्य बनाने के लिए, इसमें एक विशेष सेंसर युक्त पैराशूट लगाया गया है, जो उसे सुरक्षित जमीन पर उतार लाएगा। इस रॉकेट को पीएसआईटी स्टार्टअप इनक्यूबेशन फाउंडेशन (पीएसआईटी एसआईएफ) के इनक्यूबेटेड स्टार्टअप रमन रिसर्च एंड इनोवेशन ने तैयार किया है। संस्थान का दावा है कि उसके स्टार्टअप्स राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उपस्थिति दर्ज कराने के साथ उस सपने को साकार कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य भारत को नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता में अग्रणी बनाना है।

विशेष तरह का ब्लैक बॉक्स, इसरो का ‘नाविक’ नेविगेशन

त्रिशूल रॉकेट में एक विशेष प्रकार का ब्लैक बॉक्स लगाया गया है, जो आपातकालीन परिस्थितियों में भी रॉकेट में डेटा को सुरक्षित रखेगा। यदि किसी कारणवश रॉकेट से संपर्क टूट जाए, तब भी यह मोबाइल पर अपनी जीपीएस लोकेशन भेज देगा। रॉकेट में लोकेशन और नेविगेशन के लिए इसरो द्वारा विकसित किए स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ का इस्तेमाल किया गया है, जिसके परिणाम आशानुरूप सटीक स्थिति वाले मिले हैं। 

शुरू में शोध पेलोड्स… लॉन्च करने की योजना

त्रिशूल रॉकेट एक किलोग्राम भार के पेलोड को पांच किलोमीटर ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है। शुरुआत में इस रॉकेट की मदद से शोध पेलोड्स को लॉन्च करने की योजना बनाई गई है। छात्रों द्वारा तैयार विभिन्न शोध पेलोड्स को लॉन्च करने में इसका प्रयोग होगा। रॉकेट का मल्टीपरपज उन्नत वर्जन बनाने को लेकर भी विचार चल रहा है।

‘युविका’ से सामने आ रही, अंतरिक्ष विज्ञान में प्रतिभा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन स्कूली बच्चों के लिए युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम ‘युविका’ का आयोजन करता है। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करना है। मौजूदा समय में युवाओं के बीच अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी का काफी रुझान है। यही देखकर इसरो ने युवाओं को अंतरिक्ष की तरफ आकर्षित करने के लिए यह कार्यक्रम डिजाइन किया है। इस कार्यक्रम से छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित  आधारित अनुसंधान या करियर आगे बढ़ाने के लिए सुगम रास्ता मिलता है।

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