श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिन : भक्तों की रक्षा के लिए भगवान लेते हैं अवतार – Utkal Mail

प्रयागराज, अमृत विचार। नगर पंचायत कोरांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन स्वामी आशीष महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मार्मिक वर्णन किया। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि भगवान हर युग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं।
कथा में श्रीकृष्ण द्वारा पूतना वध, गोवर्धन पर्वत उठाने, और संदीपन आश्रम में सुदामा संग मित्रता के प्रसंगों को विस्तार से बताया गया। स्वामी जी ने कहा कि कंस ने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से न केवल स्वयं की रक्षा की, बल्कि अपने भक्तों को भी संकट से उबारा।
श्रापित चना और सुदामा की मित्रता का अद्भुत प्रसंग : स्वामी जी ने संदीपन आश्रम का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार गुरुमाता ने कृष्ण और सुदामा को चना दिया। जब दोनों वन में गए, तब सुदामा ने वह चना अकेले खा लिया। इसके पीछे भाव यह था कि वह चना श्रापित था। “सुदामा ने सोचा कि यदि श्रीकृष्ण ने यह चना खा लिया तो वह गरीब हो जाएंगे। ब्राह्मण होने के नाते मैं भिक्षा से जीवन चला लूंगा, लेकिन मेरे मित्र को कष्ट न हो -यही मित्र धर्म है।” यह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और पंडाल में कुछ देर तक शांति छा गई।
गोवर्धन पर्वत और इन्द्र प्रसंग ने बांधा समां : स्वामी जी ने जब गोवर्धन पूजा और इन्द्र द्वारा मूसलधार वर्षा का प्रसंग सुनाया, तो उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने एक ही उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ग्वालों और गोवर्धनवासियों की रक्षा की। इस प्रसंग पर पंडाल तालियों और जय श्रीकृष्ण के जयघोष से गूंज उठा।
नगरवासियों की रही उमड़ी भीड़ : कथा के जजमान सारों देवी रहीं। आयोजन में धनश्याम दास केशरी, धर्मेंद्र केशरी सहित बड़ी संख्या में नगरवासी और श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। कथा स्थल को फूलों व धार्मिक झांकियों से सजाया गया है। स्थानीय श्रद्धालु प्रतिदिन बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।
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