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Monsoon Session: Trump के दावे को जयशंकर ने किया खारिज, कहा- 22 अप्रैल से 17 जून के बीच PM मोदी की ट्रंप से कोई बात नहीं हुई – Utkal Mail

नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत को विदेश से समर्थन नहीं मिलने के विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से पाकिस्तान और तीन अन्य देशों को छोड़कर सभी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था। ऑपरेशन सिंदूर विषय पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान को चीन के समर्थन पर विपक्ष के आक्षेपों को नकारते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी 60 साल से कांग्रेस के समय से चल रही है। 

विदेश मंत्री ने सदन में कहा, ‘‘पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना जरूरी था। हमारी सीमाएं लांघी गईं तो यह संदेश देना जरूरी था कि परिणाम अच्छे नहीं होंगे।’’ उन्होंने हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने और अटारी सीमा बंद करने जैसे कूटनीतिक निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि इन शुरुआती कदमों के बाद भारत का जवाब रुका नहीं। 

उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक विमर्श और कूटनीतिक माहौल बनाकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी ‘‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने’’ की नीति है और वह अपने लोगों की रक्षा करेगा। जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का सदस्य होने के नाते उस मंच पर इस संबंध में समर्थन पाना भारत के लिए कठिन था, लेकिन सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान को देखें तो इसमें कड़े से कड़े शब्दों में पहलगाम हमले की निंदा की गई। 

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से पाकिस्तान को छोड़कर केवल तीन ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि इस दौरान देश ने कोई बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका। उन्होंने कहा कि ‘क्वाड’ और ‘ब्रिक्स’ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई। 

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने गत 17 जुलाई को ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया, जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने कहा कि 26-11 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पृष्ठभूमि में यह फैसला आया। 

उन्होंने विपक्ष के कुछ सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘यह हमारी कूटनीति की सफलता है। हमारे कठोर कदमों की झलक दूसरे देशों में भी दिखी और फ्रांस, जर्मनी तथा यूरोपीय संघ ने आतंकवाद के खिलाफ रुख अपनाया।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वादे के अनुसार हमारे सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को जवाब दिया और उसके हमलों को नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा कि इसे प्रमाणित करने के लिए उपग्रह की तस्वीरें उपलब्ध हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘10 मई को कई फोन कॉल आए और बताया गया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम को तैयार है। हमने कहा कि डीजीएमओ के माध्यम से पाकिस्तान से यह अनुरोध आना चाहिए।’’

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान अमेरिका से बातचीत में व्यापार से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं आया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्ष रुकवाने के दावों को लेकर विपक्ष के सवालों पर जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई सीधा संवाद नहीं हुआ।’’ उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को ट्रंप ने पहलगाम हमले के बाद मोदी से बात की थी और 17 जून को मोदी की कनाडा यात्रा के दौरान दोनों की फोन पर बात हुई थी। 

विपक्ष पर भड़के अमित शाह

इस दौरान विपक्ष के सदस्यों के टोकाटोकी करने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘हमारी आपत्ति है कि विपक्ष के सदस्य शपथ लेकर सदस्य बनने वाले विदेश मंत्री के बयान पर भरोसा नहीं कर रहे, दूसरे देशों के बयान पर भरोसा करते हैं। इसलिए ये वहां (विपक्ष में) बैठे हैं और 20 साल तक वहां बैठने वाले हैं।’’ 

जयशंकर ने विपक्ष के कुछ आरोपों पर कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद शर्म अल शेख में तत्कालीन संप्रग सरकार और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद दोनों देशों के लिए खतरा है। उन्होंने कहा, ‘‘जिस सरकार ने बहावलपुर और मुरीदके में आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया और इतने कदम आतंकवाद के खिलाफ उठाए, उससे विपक्ष के लोग सवाल पूछ रहे हैं।’’

पाक-चीन साझेदारी 60 साल से चल रही है 

जयशंकर ने पाकिस्तान को चीन के समर्थन पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पाक-चीन साझेदारी 60 साल से चल रही है। अपनी चीन यात्रा पर विपक्ष के हमलों पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं चीन गया था तनाव कम करने के संबंध में अपना रुख साफ करने। मैं गुप्त समझौतों और ओलंपिक देखने के लिए नहीं गया।’’

डोकलाम को लेकर राहुल गांधी पर साधा निशाना

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने डोकलाम पर देश के बजाय चीनी राजदूत से जानकारी लेना उचित समझा। विदेश मंत्री ने कहा कि आज पाकिस्तान से लगी सीमा हो या चीन से लगी सीमा, भारतीय सेना पूरी तरह मुस्तैद है। उन्होंने कहा, ‘‘60 साल तक सीमा की अनदेखी हुई। पिछले दस साल में बहुत काम हुआ है और काफी कुछ होना है।’’ जयशंकर ने कहा कि सीमापार आतंकवाद की चुनौती अब भी कायम है और भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और बतचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।  


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