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एनएचआरसी का राज्यों को निर्देश: जातिसूचक और अपमानजनक नामों की समीक्षा कर चार सप्ताह में सौंपें रिपोर्ट, बदलें नाम – Utkal Mail

लखनऊ, अमृत विचार। देश के विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जाति/जनजाति को लेकर इस्तेमाल में लाये जा रहे जातिसूचक व अपमानजनक नामों की समीक्षा करने के निर्देश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सभी राज्यों को दिए है। इस बाबत आयोग के असिस्टेंट रजिस्ट्रार (कानून) बृजवीर सिंह ने सभी राज्यों के पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिवों को आदेश जारी कर भावनाओं और सम्मान को ठेस पहुचाने वाले नामों को बदलने के साथ ही चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। 

असिस्टेंट रजिस्ट्रार (कानून) बृजवीर सिंह की ओर से जारी आदेश में प्रमुख सचिवों से कहा गया है कि मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत को देश के सभी मानव अधिकारों की रक्षा और संवर्धन का दायित्व सौंपा है और पीएचआर अधिनियम, 1993 की धारा 13 के अंतर्गत जाँच के लिए उसे सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त हैं। उन्होंने कहा है कि शिकायतकर्ता ने देश के विभिन्न भागों में गाँवों, बस्तियों, बस्तियों आदि के लिए जातिसूचक और अपमानजनक नामों के निरंतर उपयोग पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। साथ ही अनुरोध किया गया है कि ऐसे नामों की समीक्षा की जाए और उनका नाम बदला जाए, क्योंकि ये अपमानजनक हैं और समानता एवं मानवीय गरिमा के संवैधानिक आदर्शों के विपरीत हैं।

 शिकायत में कहा गया है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी, अनुसूचित जातियों के समुदायों को ऐसे नामकरणों के कारण सामाजिक अपमान और कलंक का सामना करना पड़ रहा है। जिन नामों को हटा दिया गया है/प्रतिबंधित किया गया है, वे कई स्थानों पर अभी भी प्रचलन में हैं और माना जाता है कि वे व्यक्तियों की गरिमा का हनन करते हैं। इस बावत आयोग ने अदालती आदेशों और अधिनियमों का हवाला देते हुए कहा है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(यू) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को अपमानित करने या धमकाने के लिए जानबूझकर जाति-आधारित गालियों के इस्तेमाल को दंडित करती है। इस प्रावधान के तहत चमार, भंगी, मेहतर आदि शब्दों का इस्तेमाल करने पर मुकदमा चलाया जा सकता है। ऐसे में आयोग ने ऐसे नामों को बदलने के लिए उठाये गए कदम के बारे में चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट तलब की है।

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