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'ChatGPT' बना रहा छात्रों को मानसिक ग्रसित…, मनोचिकित्सकों ने जताई चिंता  – Utkal Mail

नई दिल्ली। आज के किशोर अपनी भावनाओं और समस्याओं को चैटजीपीटी जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी की एआई चैटबॉट्स के साथ साझा कर रहे हैं, जिससे शिक्षक और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किशोर इन चैटबॉट्स को एक सुरक्षित माध्यम मान रहे हैं, लेकिन यह आदत खतरनाक साबित हो रही है। इससे बच्चों में लगातार दूसरों से प्रशंसा पाने की लालसा बढ़ रही है और वे वास्तविक जीवन में संवाद करने की कला भूलते जा रहे हैं। यह डिजिटल सहायता भ्रामक है, क्योंकि ये चैटबॉट्स वही जवाब देते हैं जो उपयोगकर्ता सुनना चाहता है। इससे किशोरों में गलत धारणाएं पनप सकती हैं और वे सामाजिक मेलजोल से दूर हो सकते हैं।

एक स्कूल की प्राचार्या शालिनी मेहता ने बताया, “स्कूल वह स्थान है जहां बच्चे आपस में मिलकर सामाजिक और भावनात्मक कौशल सीखते हैं।” उन्होंने कहा, “आजकल किशोरों में यह आदत बढ़ रही है कि वे अपने फोन के साथ समय बिताते हुए खुद को अकेला और सुरक्षित समझते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट्स एक जटिल सिस्टम से जुड़े होते हैं, और उनसे की गई बातचीत पूरी तरह गोपनीय नहीं रहती – यह जानकारी कहीं और भी पहुंच सकती है।”

मनोचिकित्सक डॉ. अमित वर्मा ने कहा कि एआई चैटबॉट्स को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे उपयोगकर्ता से लंबी बातचीत करें। जब कोई किशोर अपनी गलत सोच को एआई के साथ साझा करता है, तो चैटबॉट उसे सही ठहराने की कोशिश करता है। बार-बार ऐसा होने पर किशोर उस गलत सोच को ही सत्य मानने लगता है, जो उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।

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